फोन कंपनियों को संचार साथी ऐप प्री-इंस्टॉल करने के निर्देश दिए जाने के बाद शुरू हुए राजनीतिक विरोध को लेकर अब सरकार की ओर से स्थिति स्पष्ट कर दी गई है। केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विपक्ष द्वारा फैलाए जा रहे 'भ्रमों' को दूर करते हुए कहा कि यह ऐप पूरी तरह से वैकल्पिक (Optional) है और यह उपभोक्ताओं पर बाध्यकारी नहीं है।
सिंधिया ने साफ किया, "यह पूरी तरह से ऑप्शनल है, आप इसे रखना चाहते हैं या नहीं। यह आपके ऊपर है। इसे डिलीट किया जा सकता है। यह बाध्यकारी ऐप नहीं है।"
मंत्री ने जोर देकर बताया कि यह ऐप सिर्फ उपभोक्ताओं को सुरक्षा देने के लिए लाया गया है। इससे पहले सरकार के इस कदम पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने इस ऐप को एक जासूस ऐप करार दिया था और कहा था कि नागरिकों को प्राइवेसी का अधिकार है। उन्होंने तर्क दिया था कि हर किसी को बिना सरकार की नजर के परिवार, दोस्तों को मैसेज भेजने की प्राइवेसी का अधिकार होना चाहिए।
सुरक्षा के लिए लाया गया ऐप: सिंधिया का दावा
सिंधिया ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जब उनके पास कोई मुद्दा नहीं है तो वे कुछ न कुछ खोजने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "हम उनकी मदद नहीं कर सकते। हमारा काम उपभोक्ताओं की मदद करना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है।"
उन्होंने संचार साथी ऐप की सफलता के आँकड़े पेश करते हुए बताया कि:
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संचार साथी पोर्टल को 20 करोड़ से अधिक बार डाउनलोड किया गया है, और ऐप को 1.5 करोड़ से अधिक बार डाउनलोड किया गया है।
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इसकी मदद से लगभग 1.75 करोड़ धोखाधड़ी वाले मोबाइल कनेक्शन को डिस्कनेक्ट किया गया है।
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लगभग 20 लाख चोरी हुए फोन का पता लगाया गया है और लगभग 7.5 लाख चोरी हुए फोन उनके उपभोक्ताओं को सौंप दिए गए हैं।
सिंधिया ने स्पष्ट किया कि यह ऐप जासूसी या कॉल मॉनिटरिंग को सक्षम नहीं करता है। उन्होंने दोहराया, "आप इसे अपनी इच्छानुसार सक्रिय या निष्क्रिय कर सकते हैं। यदि आप संचार साथी नहीं चाहते हैं तो आप इसे हटा सकते हैं। यह वैकल्पिक है।"
विपक्ष ने निजता उल्लंघन का लगाया था आरोप
दूरसंचार विभाग (DoT) ने 28 नवंबर को मोबाइल हैंडसेट विनिर्माताओं और आयातकों को निर्देश दिया था कि वे यह सुनिश्चित करें कि 90 दिन के भीतर सभी नए उपकरणों में धोखाधड़ी की सूचना देने वाला ऐप संचार साथी पहले से लगा (Pre-installed) हो।
विपक्ष ने इसी प्री-इंस्टॉलेशन के निर्देश पर विरोध शुरू कर दिया था। सीपीआई-एम सांसद जॉन ब्रिटास ने कहा था कि संचार साथी ऐप लोगों की प्राइवेसी में खुला दखल है और यह सुप्रीम कोर्ट के 2017 के पुट्टास्वामी जजमेंट का उल्लंघन करता है, जिसने निजता को मौलिक अधिकार माना था।
संचार साथी ऐप क्या है?
संचार साथी भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन (DoT) की एक नागरिक-केंद्रित पहल है। सरकार का दावा है कि इसे मोबाइल यूजर्स को सशक्त बनाने, उनकी सुरक्षा मजबूत करने और सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। सरकार का कहना है कि यह लोगों को फ्रॉड से बचाने में मदद करेगी, जबकि विपक्ष का कहना है कि यह सरकार को नागरिकों की निगरानी करने की शक्ति देगा।