22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुआ आतंकी हमला पूरे देश के लिए एक गहरा सदमा साबित हुआ। इस हमले में कुल 27 मासूम पर्यटकों की जान चली गई, जिनमें महाराष्ट्र के 6 नागरिक भी शामिल थे। यह हमला न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में आक्रोश और दुख का कारण बना। अब इस घटना की जांच में एक चौंकाने वाला मोड़ आया है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों की जांच को नई दिशा दी है।
रील्स वीडियो से हुआ बड़ा खुलासा
हमले से चार दिन पहले बैसरन वैली में शूट किए गए एक इंस्टाग्राम रील ने जांच एजेंसियों को एक अहम सुराग दिया है। यह रील पुणे निवासी श्रीजीत रमेशन की बेटी ने उस वक्त बनाई थी जब वह परिवार के साथ कश्मीर घूमने गए थे। वीडियो में एक गाने के साथ बैकग्राउंड में दो संदिग्ध युवक दिखाई दे रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि ये वही चेहरे हैं जिनके स्केच बाद में आतंकियों के तौर पर जारी किए गए।
ये वीडियो सामने आने के बाद यह लगभग तय माना जा रहा है कि आतंकवादी हमले की योजना पहले से ही तैयार की जा चुकी थी और वो पहलगाम क्षेत्र में पहले से सक्रिय थे।
श्रीजीत रमेशन ने NIA को सौंपे सबूत
जैसे ही श्रीजीत ने इस वीडियो में संदिग्ध चेहरों को पहचाना, उन्होंने बिना समय गंवाए सारे वीडियो और फोटो राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिए। अब NIA और अन्य सुरक्षा एजेंसियां इस वीडियो की मदद से आतंकियों की गतिविधियों और उनकी मूवमेंट पर गहन जांच कर रही हैं। जांच एजेंसियों को उम्मीद है कि इस वीडियो से उन्हें हमले की पूर्व-तैयारी, शामिल आतंकियों की पहचान और उनके ठिकानों के बारे में ठोस जानकारी मिलेगी।
कैमरे की नजर बनी जांच का हथियार
एक आम पर्यटक परिवार द्वारा शूट किया गया यह रील अब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम बन गया है। देशभर में कई लोग अब इस बात को लेकर हैरान हैं कि एक सोशल मीडिया वीडियो कैसे आतंकवाद के खिलाफ सबूत बन सकता है। लेकिन यह सच है कि डिजिटल युग में कैमरे की नजर आतंकियों की गतिविधियों को उजागर करने का सशक्त साधन बन चुकी है।
जांच में मिली बड़ी लीड
श्रीजीत की बेटी की रील अब जांच एजेंसियों के लिए एक महत्वपूर्ण सुराग बन गई है। इस रील में संदिग्धों की चाल-ढाल, कपड़े, मूवमेंट और लोकेशन जैसी कई जानकारियां स्पष्ट दिख रही हैं। विशेषज्ञ इन वीडियो फ्रेम्स को जूम कर, तकनीकी विश्लेषण के ज़रिए संदिग्धों के चेहरे की पुष्टि करने में जुटे हुए हैं। यदि यह चेहरे पहले से किसी डाटाबेस में मौजूद हुए, तो इससे आतंकियों की पहचान में और भी आसानी होगी।
मासूमों को मिलेगा इंसाफ?
इस हमले ने देश की आत्मा को झकझोर दिया है। सैकड़ों परिवारों में मातम पसरा है। अब जबकि जांच को रील्स वीडियो जैसी डिजिटल क्लूज़ से एक नई दिशा मिल गई है, उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही हमलावरों तक सुरक्षा एजेंसियां पहुंचेंगी और उन्हें कानून के कठघरे में लाया जाएगा।
आतंकियों को कड़ी सज़ा और मारे गए मासूमों को इंसाफ दिलाना अब राष्ट्रीय जिम्मेदारी बन चुका है। इस रील ने जहां एक ओर घटना के पीछे की साजिश को उजागर करने में मदद की है, वहीं यह भी दिखाया है कि आज का हर आम नागरिक, अनजाने में भी देश की सुरक्षा का हिस्सा बन सकता है।
निष्कर्ष
22 अप्रैल का हमला भले ही बीत चुका हो, लेकिन उसकी गूंज अब भी लोगों के दिलों में है। पुणे निवासी परिवार द्वारा शूट किया गया वीडियो इस बात का प्रतीक बन चुका है कि आतंक को रोकने में अब हर कैमरा, हर तस्वीर और हर नागरिक की भूमिका अहम हो सकती है।
अब पूरे देश की नजरें जांच एजेंसियों पर टिकी हैं और उम्मीद है कि इस सुराग के जरिए जल्द ही आतंकियों को गिरफ्तार किया जाएगा और उन मासूम जानों को न्याय मिलेगा जो पहलगाम में अपनी जिंदगी गंवा बैठीं।