आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम जिले से एक दर्दनाक हादसे की खबर सामने आई है। मंगलवार रात को श्री वराह लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर की एक दीवार अचानक ढह गई, जिससे 7 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 4 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना उस समय हुई जब मंदिर में पारंपरिक चंदनोत्सव उत्सव चल रहा था और बड़ी संख्या में भक्त मंदिर परिसर में मौजूद थे।
यह हादसा विशाखापट्टनम के सिंहगिरी इलाके में स्थित प्रसिद्ध श्री वराह लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर में हुआ। मंदिर का यह उत्सव क्षेत्र में बेहद खास और श्रद्धा का केंद्र माना जाता है, जिसमें दूर-दूर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
कैसे हुआ हादसा?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रात के समय जब चंदनोत्सव कार्यक्रम चल रहा था, तब मंदिर परिसर में भक्तों की भारी भीड़ मौजूद थी। इसी दौरान अचानक एक दीवार ढह गई, जिससे कई लोग इसके नीचे दब गए। अफरातफरी का माहौल बन गया और मंदिर परिसर में चीख-पुकार मच गई।
मामले की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन हरकत में आया। जिला कलेक्टर हरेंद्र प्रसाद ने बताया कि NDRF (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) और SDRF (राज्य आपदा मोचन बल) की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं और राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है और रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।
राज्य सरकार की कार्रवाई
आंध्र प्रदेश की गृहमंत्री वंगलापुड़ी अनिता भी तुरंत मौके पर पहुंचीं और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा दी जाए और पीड़ित परिवारों को हरसंभव सहायता मुहैया कराई जाए।
राज्य सरकार की ओर से हादसे पर शोक जताया गया है और मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा भी जल्द की जा सकती है। वहीं मंदिर प्रशासन की ओर से भी घटना की जांच के आदेश दिए गए हैं।
हादसे के समय चल रहा था भव्य उत्सव
हादसे के समय मंदिर में चंदनोत्सव का विशेष पर्व चल रहा था। यह उत्सव भगवान वराह लक्ष्मी नरसिंह स्वामी के दर्शन और सेवा का विशेष अवसर होता है। भक्तों की आस्था इस अवसर पर चरम पर होती है, और इसी कारण मंदिर परिसर में भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी।
भगवान को प्रातः 1 बजे सुप्रभात सेवा के साथ जगाया गया था। इसके बाद भगवान के शरीर पर लगाए गए चंदन को चांदी के चम्मच से धीरे-धीरे हटाया गया और विशेष प्रार्थनाओं के बाद उन्हें उनके वास्तविक रूप में दर्शन के लिए प्रस्तुत किया गया।
दर्शन के लिए उमड़ी भारी भीड़
भगवान के विशेष दर्शन के लिए मंदिर में मंगलवार दोपहर से ही भारी संख्या में भक्त इकट्ठा हो गए थे। मंदिर के वंशानुगत ट्रस्टी पुसापति अशोक गजपति राजू और उनके परिवार को सबसे पहले विशेष दर्शन का अवसर दिया गया। इसके बाद राज्य के राजस्व मंत्री अंगनी सत्य प्रसाद ने भी मंदिर पहुंचकर सरकार और टीडीपी की ओर से रेशमी वस्त्र अर्पित किए।
केशखंडशाला के सामने बने कल्याणम मैदान में दर्शन के लिए कतारों की व्यवस्था की गई थी, जहां निशुल्क दर्शन के लिए भारी भीड़ इकट्ठा हुई थी। इसी भीड़भाड़ और अव्यवस्था के बीच हादसा हुआ, जिसने पूरे उत्सव की खुशियां मातम में बदल दीं।
हादसे के बाद उठे सवाल
इस हादसे के बाद मंदिर प्रशासन की लापरवाही पर भी सवाल उठने लगे हैं। इतने बड़े आयोजन के दौरान पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम क्यों नहीं किए गए? क्या दीवार की हालत पहले से खराब थी? क्या भीड़ नियंत्रण के उपाय नाकाफी थे? इन सवालों की जांच की जा रही है।
स्थानीय लोगों और भक्तों ने मांग की है कि मंदिर परिसर में सुरक्षा मानकों की सख्ती से समीक्षा हो और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए सख्त कदम उठाए जाएं।
निष्कर्ष
श्री वराह लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर हादसा न केवल एक धार्मिक आयोजन के दौरान हुई त्रासदी है, बल्कि यह प्रशासनिक सतर्कता की एक बड़ी विफलता भी उजागर करता है। जहां भक्तों की आस्था का केंद्र खुशी और भक्ति का स्थल होना चाहिए, वहां से मौत की खबर आई, यह हर किसी को झकझोर देने वाला है।