मुंबई, 02 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। दिल्ली में दिवाली और सर्दियों के दौरान होने वाले प्रदूषण से राहत पाने के लिए इस बार सरकार कृत्रिम बारिश का सहारा लेगी। इस योजना को हरी झंडी उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने दे दी है। पर्यावरण मंत्री मंजींदर सिंह सिरसा ने मंगलवार को इसकी घोषणा करते हुए बताया कि ट्रायल अगस्त के अंतिम सप्ताह से सितंबर के पहले सप्ताह के बीच कराए जाएंगे। कुल पांच ट्रायल किए जाएंगे ताकि यह समझा जा सके कि सितंबर और दिवाली के आसपास बढ़ने वाले स्मॉग को कम करने में यह तकनीक कितनी असरदार है। इन ट्रायल्स को IIT कानपुर के तकनीकी सहयोग से अंजाम दिया जाएगा। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक एक बार की कृत्रिम बारिश पर लगभग 66 लाख रुपये का खर्च आएगा, जबकि पूरे ऑपरेशन की लागत 55 लाख रुपये बताई गई है। सभी ट्रायल्स पर कुल मिलाकर करीब 2 करोड़ 55 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है। ऐसा ही एक प्रयोग साल 2017 में महाराष्ट्र के सोलापुर में किया गया था, जहां क्लाउड सीडिंग के बाद सामान्य से 18 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई थी।
दिल्ली सरकार ने इन ट्रायल्स के लिए शहर के बाहरी इलाकों को चुना है। अलीपुर, बवाना, रोहिणी, बुराड़ी, पावी सड़कपुर और कुंडली बॉर्डर के इलाकों में क्लाउड सीडिंग की जाएगी। यह प्रक्रिया 30 अगस्त से 10 सितंबर के बीच प्रस्तावित है। पहले यह परीक्षण जुलाई में होना था, लेकिन मौसम वैज्ञानिकों के सुझाव के आधार पर इसे आगे बढ़ा दिया गया। दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) अकसर 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुंच जाता है। अक्टूबर और नवंबर में यह स्थिति और भी गंभीर हो जाती है, जब AQI 494 से ऊपर चला जाता है। इस स्तर को सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) ने सीवियर प्लस कैटेगरी में रखा है, जिसमें एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी सांस लेना जोखिम भरा हो सकता है। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के स्टेज-4 के सभी प्रतिबंधों को लागू करने के आदेश दिए थे।
इस ट्रायल के लिए IIT कानपुर के विशेष रूप से तैयार किए गए 'सेसना' विमान का उपयोग किया जाएगा, जिसमें क्लाउड सीडिंग उपकरण पहले से ही लगाए गए हैं। इस विमान को अनुभवी पायलट उड़ाएंगे। दिल्ली सरकार की मंशा है कि सर्दी शुरू होने से पहले ही वायु गुणवत्ता में सुधार हो, जब राजधानी में प्रदूषण अपने चरम पर होता है। यह पहल पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से तैयार एनवायरनमेंट एक्शन प्लान 2025 का हिस्सा है। ट्रायल से जो भी डेटा मिलेगा, वह भविष्य में बड़े स्तर पर क्लाउड सीडिंग को अपनाने की दिशा में सरकार की रणनीति तैयार करने में मदद करेगा। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, 2017 से 2019 के बीच सोलापुर में किए गए 276 क्लाउड सीडिंग प्रयोगों से यह निष्कर्ष निकाला गया कि इस तकनीक से सामान्य वर्षा की तुलना में औसतन 18 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। इन प्रयोगों की निगरानी रडार, विमान और आधुनिक वर्षामापी जैसे उपकरणों की सहायता से की गई। क्लाउड सीडिंग की इस प्रक्रिया में सिल्वर आयोडाइड या कैल्शियम क्लोराइड जैसे कणों को बादलों में फैलाकर वर्षा को प्रेरित किया जाता है।