ब्रिटेन के लेक डिस्ट्रिक्ट की दुर्गम पहाड़ियों के बीच जीवेंद्र ने वह इतिहास रच दिया, जो अब तक किसी भारतीय ने नहीं किया था। लंदन स्थित यूबीएस (UBS) की टेक्नोलॉजी और ऑपरेशंस टीम में प्रोडक्ट मैनेजर जीवेंद्र ने मात्र 24 घंटे में 42 चोटियों, 106 किलोमीटर (66 मील) और 27,000 फीट ऊंचाई की चुनौती पार कर बॉब ग्राहम राउंड को पूरा कर दिखाया।
यह सिर्फ शारीरिक सहनशक्ति की जीत नहीं थी, बल्कि आत्मविश्वास, मानसिक स्वास्थ्य और समुदाय के सहयोग की मिसाल भी थी।
माँ के निधन से निकली पहाड़ों तक की यात्रा
जीवेंद्र ने बताया, मेरी मां की मृत्यु ने मुझे तोड़ दिया था। मानसिक स्वास्थ्य बहुत बिगड़ गया था। मुझे लगा था कि मैं बड़ा होकर मृत्यु जैसी सच्चाई को संभाल लूंगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर मैंने पहाड़ों का सहारा लिया, यहीं मुझे शांति और उपचार मिला।
लेक डिस्ट्रिक्ट की कठिन राहों ने उन्हें आत्मचिंतन, धैर्य और मदद मांगने की ताकत सिखाई।
एक-एक कदम, एक-एक चोटी…
जीवेंद्र का कहना है कि सबसे बड़ी चुनौती आत्म-संदेह थी। मैंने हर चोटी को अलग लक्ष्य मानकर सिर्फ अगले कदम पर ध्यान दिया। यही तरीका काम में बड़े प्रोजेक्ट्स पर भी लागू होता है – उसे हिस्सों में बाँटो, टीम पर भरोसा रखो और लगातार आगे बढ़ते रहो।
समुदाय और सहयोग की ताकत
इस कठिन सफर में दोस्तों, परिवार, स्थानीय धावकों और यूबीएस के सहयोगियों ने साथ दिया। रात 2 बजे भी उनकी टीम पहाड़ों पर चढ़कर उन्हें हौसला देने पहुँची।
जीवेंद्र कहते हैं, 106 किमी की दौड़ कोई अकेले नहीं पूरी कर सकता। यह टीम और समुदाय की ताकत से ही संभव है।
नई राह पर प्रेरणा
इस उपलब्धि के बाद जीवेंद्र ने यूबीएस के माउंटेन्स फॉर माइंड चैलेंज का आयोजन किया, जिसमें 30 कर्मचारियों ने लेक डिस्ट्रिक्ट की ट्रेकिंग कर मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने का संदेश दिया।
जीवेंद्र का मंत्रा है – Be where your feet are यानी जहाँ आपके कदम हैं, वहीं पूरी तरह मौजूद रहो