22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन इलाके में हुए आतंकवादी हमले में 28 निर्दोष भारतीयों की जान चली गई और कई अन्य लोग घायल हो गए। इस हमले ने ना केवल भारत को बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर दिया। आतंकवाद के इस जघन्य कृत्य की दुनिया भर में कड़ी निंदा हो रही है, और कई देशों ने भारत के प्रति अपनी एकजुटता और समर्थन का प्रदर्शन किया है। बावजूद इसके, पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज आने का नाम नहीं ले रहा है।
इस हमले के बाद पाकिस्तान के डिप्टी प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक शर्मनाक बयान देते हुए इस आतंकवादी हमले को "स्वतंत्रता सेनानी" का कार्य करार दिया। कुरैशी ने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हमला करने वाले आतंकवादी स्वतंत्रता सेनानी हो सकते हैं। उनका यह बयान न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए अत्यंत विवादास्पद और निंदनीय था। पाकिस्तान ने आतंकवादियों के इस क्रूर कृत्य को जायज ठहराने की कोशिश की, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में और अधिक गुस्सा और आक्रोश फैल गया।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और कदम
इस बयान से पहले भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए थे, जिनमें 1960 की सिंधु जल संधि को रद्द करना, पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा को रद्द करना और अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद करना प्रमुख था। इन फैसलों के बाद पाकिस्तान ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की बैठक बुलाई, जिसमें पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए।
पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के अपने एयरस्पेस में प्रवेश पर रोक लगा दी, वाघा बॉर्डर को बंद कर दिया और व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके अलावा, पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि को लेकर बयान दिया कि उनके देश के 24 करोड़ लोग पानी के बिना नहीं रह सकते और पानी को रोकना युद्ध जैसा होगा। पाकिस्तान के लिए यह संधि किसी राष्ट्रीय अधिकार से कम नहीं है, और इसका उल्लंघन युद्ध की स्थिति पैदा कर सकता है, यह उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा।
पाकिस्तान की गीदड़भभकी
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बयान दिया कि अगर पाकिस्तान को धमकी दी जाती है या हमला किया जाता है, तो पाकिस्तान उसी तरह का जवाब देगा। यह एक प्रकार की गीदड़भभकी थी, जिससे पाकिस्तान की बौखलाहट साफ नजर आ रही थी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी एनएससी बैठक के बाद कहा था कि सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान के पानी को रोकने या मोड़ने के किसी भी प्रयास को युद्ध के रूप में देखा जाएगा। पाकिस्तान का यह बयान युद्ध की धमकी के तौर पर सामने आया, लेकिन भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि उसकी प्राथमिकता शांति और सुरक्षा बनाए रखना है।
भारत का अंतरराष्ट्रीय समर्थन
वहीं, इस हमले के बाद भारत को दुनियाभर से भारी समर्थन मिल रहा है। कई देशों ने पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों की कड़ी निंदा की है और भारत के खिलाफ पाकिस्तान की नापाक हरकतों पर चिंता व्यक्त की है। इस बीच, भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक और कड़े कदम उठाए हैं, और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी प्रकार की निंदा को नजरअंदाज करते हुए अपनी रणनीति जारी रखी है।
अंततः, पाकिस्तान का यह शर्मनाक बयान और उसके द्वारा उठाए गए कदम भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक संकेत हैं कि पाकिस्तान को अपने आतंकवादियों की सहायता और आतंकवाद के प्रचार को बंद करना चाहिए, और आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।