मुंबई, 21 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में चीन के राजदूत शू फीहोंग ने गुरुवार को अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाई का चीन कड़ा विरोध करता है और चुप रहने से केवल दबंगई को बढ़ावा मिलता है। फीहोंग ने स्पष्ट किया कि चीन भारत के साथ मजबूती से खड़ा है और दोनों देशों को प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि साझेदार बनकर आगे बढ़ना चाहिए। राजदूत ने कहा कि भारत और चीन को आपसी संदेह से बचना चाहिए और रणनीतिक भरोसे को बढ़ाना चाहिए। उनके अनुसार दोनों देशों के बीच सहयोग ही साझा विकास का रास्ता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में भारत-चीन रिश्तों का महत्व और बढ़ गया है। दोनों देश एशिया की आर्थिक प्रगति के दो इंजन हैं और इनकी दोस्ती पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। फीहोंग ने यह भी कहा कि पीएम मोदी की आगामी चीन यात्रा दोनों देशों के संबंधों को नई गति देगी। प्रधानमंत्री 31 अगस्त से 1 सितंबर तक तियानजिन में होने वाले SCO शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। हाल ही में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने मोदी को राष्ट्रपति शी जिनपिंग का निमंत्रण सौंपा था, जिसे उन्होंने स्वीकार करते हुए मुलाकात की उत्सुकता जताई।
चीन के राजदूत ने यह भी याद दिलाया कि पिछले साल रूस के कजान में मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद से रिश्तों में लगातार सुधार हो रहा है। इस दौरान दोनों देशों ने एक-दूसरे के हितों का सम्मान करना शुरू किया है और आपसी समझ और सहयोग को बढ़ाया है। कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू होना इसी दिशा में एक अहम कदम बताया गया। भारत और चीन ने हाल ही में उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे के रास्ते से व्यापार फिर से शुरू करने का फैसला किया है। अगस्त में वांग यी की भारत यात्रा के दौरान हुई बातचीत में शिपकी ला और नाथु ला दर्रों से भी कारोबार बहाल करने पर सहमति बनी। लिपुलेख के रास्ते दोनों देशों के बीच 1954 से व्यापार होता आया है, जो कोरोना और अन्य कारणों से रुका हुआ था। अब दोनों देशों ने इसे फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है।