मुंबई, 28 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पाकिस्तानी सेना, खुफिया एजेंसी ISI और सरकार मिलकर भारत के ऑपरेशन सिंदूर में तबाह हुए आतंकी ठिकानों और ट्रेनिंग कैंपों को दोबारा सक्रिय करने की तैयारी में जुट गई हैं। खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तानी सेना की मदद से आतंकी संगठन अब लाइन ऑफ कंट्रोल के करीब घने जंगलों में हाई-टेक और छोटे ट्रेनिंग कैंप तैयार कर रहे हैं। इनका मकसद भारतीय सेना की हवाई निगरानी और हमलों से बचाव करना है। ये आतंकी कैंप लुनी, पुटवाल, ताइपु पोस्ट, जमीला पोस्ट, उमरनवाली, चप्रार, फॉरवर्ड कहुटा, छोटा चक और जंगलोरा जैसे इलाकों में बन रहे हैं। इनमें थर्मल इमेजर्स, जंगलों में निगरानी करने वाले रडार और सैटेलाइट चकमा देने वाली तकनीकें इस्तेमाल की जा रही हैं। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और इंटरनेशनल बॉर्डर पर भी आतंकी गतिविधियों के लिए तैयारियां तेज कर दी गई हैं। PoK में 13 नए लॉन्चपैड तैयार किए जा रहे हैं, जिनमें केल, शारदी, दुधनियाल, अथमुकाम, जुरा, लीपा वैली, पचिबन चमन, तंदपानी, नैयाली, जानकोट, चकोटी, निकैल और फॉरवर्ड कहुटा जैसे इलाके शामिल हैं। इसके अलावा जम्मू सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर मसरूर बड़ा भाई, चप्रार, लुनी और शकरगढ़ में भी चार नए लॉन्चपैड बनाए जा रहे हैं।
भारत ने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के जवाब में 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर चलाया था, जिसमें पाकिस्तान और PoK में मौजूद कई आतंकी अड्डों को नष्ट कर दिया गया था। इसके बाद ISI अब बड़े आतंकी अड्डों की जगह छोटे, अधिक सुरक्षित कैंप स्थापित करने की रणनीति पर काम कर रही है। हर कैंप में अलग सुरक्षा व्यवस्था रहेगी, जिसमें ट्रेंड पाकिस्तानी सैनिक तैनात किए जाएंगे। ये सैनिक थर्मल सेंसर, लो फ्रीक्वेंसी रडार और एंटी-ड्रोन टेक्नोलॉजी से लैस होंगे। खुफिया एजेंसियों ने जानकारी दी है कि बहावलपुर में हुई एक गुप्त बैठक में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और द रेसिस्टेंस फ्रंट जैसे संगठनों के कमांडर ISI अधिकारियों के साथ मौजूद थे। इस बैठक में ISI ने वादा किया कि आतंकी ढांचों को फिर से खड़ा करने के लिए जरूरी संसाधन और फंड मुहैया कराए जाएंगे। पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर ने आदेश दिया है कि भारत द्वारा तबाह किए गए मरकज सुब्हान अल्लाह परिसर, बिलाल मस्जिद, उम्मुल कुर्रा और जामिया दावा इस्लामी मदरसा जैसे स्थानों की मरम्मत 31 जून तक पूरी कर ली जाए। पहले ये मदरसे 20 जून से खुलने थे, लेकिन ढांचों के क्षतिग्रस्त होने के कारण अब 1 जुलाई से शुरू होंगे। मुनीर ने खुद इसकी निगरानी के लिए एक टीम बनाई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान अपने आतंक के नेटवर्क को पुनर्जीवित करने के लिए पूरी ताकत झोंक रहा है।