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टैक्स कलेक्शन में बड़ी छलांग से सरकार को मिली राहत; यहां से आया सबसे ज्यादा पैसा

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Posted On:Friday, December 19, 2025

भारतीय अर्थव्यवस्था से एक उत्साहजनक खबर सामने आई है। चालू वित्त वर्ष में 17 दिसंबर 2025 तक देश का नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन (Net Direct Tax Collection) 8 फीसदी बढ़कर 17.05 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह आंकड़ा न केवल सरकार के खजाने को मजबूती दे रहा है, बल्कि यह देश की बढ़ती हुई आर्थिक गतिविधियों और कॉर्पोरेट जगत की मजबूती का भी प्रमाण है।

प्रमुख आंकड़ों पर एक नजर

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 1 अप्रैल से 17 दिसंबर 2025 के बीच कुल कर संग्रह में पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है:

  • कुल नेट कलेक्शन: ₹17,04,725 करोड़ (पिछले साल ₹15,78,433 करोड़ था)।

  • कॉर्पोरेट टैक्स: ₹8,17,310 करोड़ (पिछले साल ₹7,39,353 करोड़ था)।

  • नॉन-कॉर्पोरेट टैक्स: ₹8,46,905 करोड़ (सैलरी क्लास और प्रोफेशनल्स से)।

कॉर्पोरेट जगत का मजबूत प्रदर्शन

इस वर्ष के टैक्स कलेक्शन में सबसे अधिक चर्चा कॉर्पोरेट टैक्स की है। कंपनियों द्वारा दिए गए टैक्स में आई बढ़त यह संकेत देती है कि भारतीय कंपनियों का मुनाफा और उनकी व्यावसायिक गतिविधियां सुचारू रूप से चल रही हैं। कंपनियों की ओर से दिया गया एडवांस टैक्स भी करीब 8 फीसदी बढ़ा है, जो दिखाता है कि कारोबारी जगत भविष्य की ग्रोथ को लेकर सकारात्मक है। जब कॉर्पोरेट जगत से अधिक टैक्स आता है, तो सरकार के पास बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, जैसे हाईवे, रेलवे और पोर्ट्स पर खर्च करने के लिए अधिक पूंजी उपलब्ध होती है।

मध्यम वर्ग और प्रोफेशनल्स का योगदान

आम टैक्सपेयर्स यानी सैलरीड क्लास और छोटे व्यापारियों ने भी सरकार की झोली भरने में कोई कमी नहीं छोड़ी। नॉन-कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन पिछले साल के ₹7.96 लाख करोड़ से बढ़कर ₹8.46 लाख करोड़ से अधिक हो गया है। यह बढ़ोतरी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्ष 2025 के बजट में टैक्स स्लैब को तर्कसंगत बनाया गया था ताकि लोगों को अधिक बचत का मौका मिले। इसके बावजूद कलेक्शन का बढ़ना यह दर्शाता है कि कर दाताओं का आधार (Tax Base) बढ़ रहा है।

रिफंड प्रक्रिया और एडवांस टैक्स का गणित

टैक्स कलेक्शन के मजबूत रहने के पीछे एक अहम कारण रिफंड की रकम में कमी भी है।

  • रिफंड गिरावट: इस वर्ष अब तक ₹2,97,069 करोड़ का रिफंड जारी किया गया है, जो पिछले साल के मुकाबले लगभग 13.5 फीसदी कम है। रिफंड कम होने से सरकार के पास रहने वाला 'नेट' पैसा बढ़ जाता है।

  • एडवांस टैक्स: सरकार को एडवांस टैक्स के तौर पर ₹7.88 लाख करोड़ मिले हैं। एडवांस टैक्स वह हिस्सा होता है जो टैक्सपेयर अपनी अनुमानित आय पर किश्तों में चुकाते हैं। इसमें बढ़ोतरी सरकार के लिए एक स्टेबल कैश फ्लो सुनिश्चित करती है।

सरकार के सुधारों का सकारात्मक प्रभाव

यह रिकॉर्ड टैक्स कलेक्शन अचानक नहीं हुआ है। इसके पीछे सरकार के नीतिगत सुधारों का बड़ा हाथ है:

  1. टैक्स स्लैब में राहत: स्लैब को सरल बनाने से कर अनुपालन (Tax Compliance) बढ़ा है।

  2. डिजिटलीकरण: फेसलेस असेसमेंट और रिफंड की तेज डिजिटल प्रक्रिया से टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता आई है।

  3. सख्त निगरानी: डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से टैक्स चोरी रोकना आसान हुआ है।

निष्कर्ष

17.05 लाख करोड़ रुपये का यह कलेक्शन भारत की आर्थिक लचीलापन (Economic Resilience) को दर्शाता है। वैश्विक मंदी की आहट और अनिश्चितताओं के बीच भारत का टैक्स रेवेन्यू बढ़ना यह साबित करता है कि घरेलू मांग और औद्योगिक उत्पादन दोनों पटरी पर हैं। सरकार इस अतिरिक्त राजस्व का उपयोग सामाजिक कल्याण की योजनाओं और देश के विकास को नई गति देने में कर सकेगी।


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