आज राजधानी दिल्ली में डीएसी की एक अहम बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ ही चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) और तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद रहे। बैठक में कुल 79 हजार करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई, जिसका मुख्य उद्देश्य तीनों सेनाओं की ताकत और विभिन्न क्षमताओं को और अधिक सुदृढ़ करना है।
अगली पीढ़ी के AEW&C सिस्टम पर फोकस
बैठक में सबसे ज्यादा ध्यान अगली पीढ़ी के एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम पर रहा। इसके अलावा एम्ब्रेयर-आधारित AEW&C सिस्टम और भारत के स्वदेशी NETRA AEW सिस्टम पर भी विशेष चर्चा हुई। इन सिस्टम की क्षमताओं में फ्लाइंग पेट्रोलिंग, निगरानी, कमांड और नियंत्रण संचालन शामिल हैं। सेना प्रमुखों ने यह सुनिश्चित किया कि थल सेना और एयर फोर्स के बीच सुचारू समन्वय के साथ नए सिस्टम का संचालन किया जा सके।
आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया हथियार
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि अगर देश की तीनों सेनाएं ज्यादा से ज्यादा मेक इन इंडिया के बने हथियारों और सिस्टम का इस्तेमाल करेंगी, तो इसका लाभ न केवल उत्पादन बढ़ाने में होगा बल्कि स्वदेशी हथियारों के निर्यात की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। NETRA AEW जैसे स्वदेशी सिस्टम का व्यापक इस्तेमाल न केवल रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देगा बल्कि रोजगार सृजन में भी मदद करेगा।
रक्षा खरीद का हिसाब
साल 2025 में डीएसी की यह चौथी बैठक है। पिछली बैठकों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:
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मार्च 2025: पहली बैठक, जिसमें 54,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई।
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जुलाई 2025: दूसरी बैठक, जिसमें 1,05,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई।
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अक्टूबर 2025: तीसरी बैठक, जिसमें 79,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई।
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दिसंबर 2025: चौथी बैठक, जिसमें 8,000 करोड़ रुपये की रक्षा खरीद की मंजूरी दी गई।
टैंक और हेलीकॉप्टर अपग्रेड
बैठक में कई टैंक और मिसाइल परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई। इसमें T90 टैंक नेक्स्ट जेनरेशन का निर्माण शामिल है, साथ ही MI-17 हेलीकॉप्टर के आधुनिक अपग्रेड को भी हरी झंडी दी गई है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य तीनों सेनाओं की युद्ध क्षमता को मजबूत करना और आधुनिक तकनीक से लैस करना है।
राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय पहलू
बैठक में यह भी देखा गया कि नई पीढ़ी के हथियारों और सिस्टम में पॉलिटिकल डेवलपमेंट के अवसर भी हैं। अगर भारत स्वदेशी हथियारों का इस्तेमाल और निर्यात बढ़ाता है, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यह देश की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करेगा। यह आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करने में भी सहायक होगा।