अक्टूबर का महीना पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय टेलीविज़न की प्रतिष्ठित हस्ती स्मृति ईरानी के लिए उपलब्धियों से भरा रहा। जहां एक ओर उन्होंनेअपने शो ‘क्योंकि 2.0’ में बिल गेट्स को आमंत्रित कर सुर्खियां बटोरीं, वहीं दूसरी ओर प्रतिष्ठित TIME100 इवेंट में भारत का प्रतिनिधित्व कर देशको गर्व का पल दिया।
स्मृति ईरानी का ‘स्पार्क द 100k कलेक्टिव’ इस वैश्विक फोरम का आधिकारिक पार्टनर है — एक ऐसा मिशन जिसका उद्देश्य भारत के 300 शहरों में1 लाख महिलाओं को सशक्त बनाना और उन्हें छोटे व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रेरित करना है। दिल्ली में हाल ही में आयोजित इसके पहले चरण नेदेशभर में महिला उद्यमिता की नई लहर शुरू की है।
TIME100 मंच पर अपने प्रभावशाली संबोधन में स्मृति ईरानी ने न केवल स्पार्क पहल के उद्देश्यों को साझा किया, बल्कि अपनी निजी यात्रा से भीप्रेरक उदाहरण पेश किया। “कहते हैं ज़िंदगी एक पूरा चक्कर लगाती है, और आज रात मेरे लिए सच में ऐसा ही हुआ है,” उन्होंने कहा। “बयालीससाल पहले, मेरे पिता नई दिल्ली की सड़कों पर पुरानी Time मैगज़ीन बेचते थे ताकि तीन बेटियों का पेट पाल सकें। आज जब मैं यहां खड़ी हूं, तोयह मेरे माता-पिता की मेहनत और उन लोगों की वजह से है जिन्होंने मुझे शिक्षा, सम्मानजनक वेतन और अवसर दिए।”
उन्होंने आगे कहा —“मेरे देश में 40 करोड़ महिलाएं हैं। उनमें से 9 करोड़ गांवों में छोटे व्यवसाय चलाकर हर साल 37 अरब डॉलर का योगदान देतीहैं। 15 लाख महिलाएं पंचायत प्रतिनिधि हैं और 60 लाख महिलाएं रोज़ स्वास्थ्य सेवाओं की फ्रंटलाइन पर काम करती हैं।”
अपने मिशन स्पार्क द 100k कलेक्टिव के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा —“हमने तय किया है कि 300 शहरों में 1 लाख महिलाओं तक पहुंचेंगे, फिर 10 लाख तक, और 100 मिलियन डॉलर का इम्पैक्ट फंड तैयार करेंगे। जब किसी ने पूछा कि क्या इसे 56 देशों तक ले जा सकते हैं, तो हमनेकहा — हां, बिल्कुल! मैं यहां बस एक बीज बोने आई हूं।”
अपना भाषण समाप्त करते हुए स्मृति ईरानी ने विश्व नेताओं से एक भावनात्मक अपील की — "महिलाएं दुनिया में 30 ट्रिलियन डॉलर की खर्च शक्तिरखती हैं, लेकिन उनके पास हर तीन में से सिर्फ एक बिज़नेस है, और उन्हें अब भी 20% कम वेतन मिलता है। अगर आपके पास अपने सपनों के लिएखड़े होने का साहस है, तो उन लोगों की आवाज़ बनने का साहस भी रखिए जिनकी कोई आवाज़ नहीं है।”
स्मृति ईरानी की स्पार्क पहल सिर्फ़ महिलाओं को अवसर देने का मंच नहीं है — यह एक सामाजिक आंदोलन है जो आत्मनिर्भरता, नेतृत्व और समानताकी दिशा में एक नई सोच को जन्म दे रहा है। जैसे-जैसे अक्टूबर समाप्त हो रहा है, यह कहना गलत नहीं होगा कि यह महीना पूरी तरह स्मृति ईरानी केनाम रहा — चाहे वह भारतीय टेलीविज़न में नई ऊर्जा लाने की बात हो या वैश्विक मंच पर भारत की महिलाओं की आवाज़ बनने की।