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पटना एयरपोर्ट पर ‘स्पेशल 26’, 2 फर्जी CBI अधिकारी गिरफ्तार, पं. बंगाल से मिली थी ट्रेनिंग

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Posted On:Saturday, December 6, 2025

पटना: बिहार पुलिस को पटना एयरपोर्ट परिसर से एक बड़ी सफलता मिली है, जहाँ खुद को केंद्रीय खुफिया ब्यूरो (CBI) अधिकारी बताकर यात्रियों और आम लोगों से ठगी करने वाले एक संगठित रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस ने दो फर्जी 'अफसरों' को गिरफ्तार किया है, जो अपनी बाइक पर CBI का स्टिकर लगाकर घूम रहे थे। इस गिरफ्तारी के साथ ही, एक अंतर्राज्यीय ठगी नेटवर्क के तार खुले हैं, जिसका मास्टरमाइंड कथित तौर पर पश्चिम बंगाल से अपना ऑपरेशन चला रहा था।

एयरपोर्ट पर खुला 'फर्जी' खेल

मामला तब सामने आया जब पुलिस को पटना एयरपोर्ट परिसर में दो व्यक्तियों की गतिविधियों पर संदेह हुआ। दोनों आरोपी, जिनकी पहचान हिमांशु कुमार और सत्यानंद कुमार के रूप में हुई है, CBI का स्टिकर लगी मोटरसाइकिल पर घूम रहे थे। शुरुआती पूछताछ में ही दोनों की पोल खुल गई, और SDPO सचिवालय, डॉ. अनु कुमारी, के नेतृत्व में हुई गहन तफ्तीश में एक सुनियोजित ठगी के जाल का खुलासा हुआ।

गिरफ्तार किए गए ये स्थानीय गुर्गे केवल प्यादे थे, जो बिहार में इस रैकेट को ज़मीन पर अंजाम दे रहे थे।

पश्चिम बंगाल से चल रहा था ठगी का 'स्पेशल ऑपरेशन'

पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया कि लगभग डेढ़ साल पहले वे पश्चिम बंगाल के वर्द्धमान निवासी शोहेल मिर्ज़ा के संपर्क में आए थे। मिर्ज़ा को इस पूरे रैकेट का 'मास्टरमाइंड' बताया जा रहा है। बिहार में इस नेटवर्क को फैलाने की ज़िम्मेदारी सैयद खालिद अहमद (सोनपुर निवासी) की थी, जो गैंग में नंबर दो की भूमिका निभाता था। यह रैकेट एक संगठित अपराध की तरह काम करता था, जिसमें हर सदस्य की भूमिका तय थी।ठगी का तरीका था 'CBI जैसी वर्दी, ID और स्टाइल'। इनका मुख्य हथियार था 'डर'। हूबहू CBI जैसी फर्जी आईडी, वर्दी और रुतबा दिखाकर लोगों को डराना, फर्जी छापेमारी की धमकी देकर ब्लैकमेल करना और पैसे ऐंठना इनका मुख्य modus operandi (कार्यप्रणाली) था।

स्टेट डायरेक्टर की फर्जी पोस्ट, फोन पर 'ऑपरेशन ब्रीफिंग'

जाँच में पता चला है कि मास्टरमाइंड मिर्ज़ा और अहमद, अपने गुर्गों को 'स्टेट डायरेक्टर' जैसी फर्जी पोस्ट देकर ऑपरेशन में शामिल करते थे। ठगी की पूरी प्लानिंग किसी असली स्पेशल ऑपरेशन की तरह की जाती थी।

  • टारगेट फिक्सिंग: फोन पर बाकायदा 'ऑपरेशन ब्रीफिंग' दी जाती थी।

  • रणनीति: किसे निशाना बनाना है (अक्सर ऐसे यात्री जो जल्दी में हों या जिनके पास बड़ी रकम हो)।

  • निष्पादन: कैसे डराना है और कितनी रकम वसूलनी है।

यह गैंग न केवल एयरपोर्ट जैसी जगहों पर ऑफलाइन सक्रिय था, बल्कि ऑनलाइन मोड में भी लोगों को जाल में फंसाकर ठगी करता था। कई 'टास्क' सीधे पश्चिम बंगाल से ही ऑपरेट किए जाते थे, जिससे इसका इंटर-स्टेट कनेक्शन स्पष्ट होता है।

बरामदगी और आगे की कार्रवाई

पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के पास से ठगी में इस्तेमाल होने वाले कई महत्वपूर्ण सबूत बरामद किए हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • फर्जी पहचान पत्र (Fake IDs): CBI अधिकारियों की तरह दिखने वाले जाली कार्ड।

  • नकली दस्तावेज़ (Forged Documents): छापेमारी और वारंट के फर्जी कागजात।

  • कई मोबाइल फ़ोन और सिम कार्ड: ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल किए जा रहे विभिन्न नंबर।

आरोपियों ने पूछताछ में अपने तीन अन्य प्रमुख साथियों – शोहेल मिर्ज़ा, सैयद खालिद अहमद, और डीके वर्मा – के नाम और संपर्क नंबर पुलिस को दिए हैं। इस खुलासे के बाद, बिहार पुलिस ने इस पूरे नेटवर्क को जड़ से उखाड़ने के लिए तत्काल एक स्पेशल टीम का गठन किया है। इस टीम का मुख्य लक्ष्य अब मास्टरमाइंड शोहेल मिर्ज़ा और उसके सहयोगियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करना है, ताकि इस अंतर्राज्यीय ठगी रैकेट पर स्थायी रूप से रोक लगाई जा सके।

एविएशन सिक्योरिटी और ठगी का बढ़ता खतरा

यह घटना भारतीय एयरपोर्ट्स की सुरक्षा और यात्रियों की जागरूकता को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है।

  • बढ़ती विश्वसनीयता का दुरुपयोग: CBI या NIA जैसी केंद्रीय एजेंसियों के नाम पर होने वाली ठगी, इन संस्थाओं की विश्वसनीयता का दुरुपयोग करती है।

  • कमज़ोर कड़ी: एयरपोर्ट जैसी संवेदनशील जगहों पर जहाँ यात्री जल्दी में होते हैं और अधिकारियों को लेकर स्वाभाविक रूप से डर या सम्मान होता है, ठग इसका फायदा उठाकर आसानी से शिकार बना लेते हैं।

नागरिक उड्डयन मंत्री द्वारा इंडिगो संकट पर चिंता व्यक्त करने और सुरक्षा/ऑपरेशनल ऑडिट की बात के बीच, इस तरह की आपराधिक गतिविधियाँ एक अलग तरह की चुनौती पेश करती हैं। पुलिस प्रशासन अब यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है कि इस रैकेट का कोई और स्लीपर सेल (Sleeper Cell) या अन्य सहयोगी सक्रिय न हों। बिहार पुलिस का संदेश: आम जनता को सलाह दी गई है कि किसी भी केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी द्वारा पहचान पत्र माँगे जाने पर अत्यधिक सावधानी बरतें और तुरंत स्थानीय पुलिस से पुष्टि करें, खासकर अगर वे पैसे की माँग करते हैं या ब्लैकमेल करने की कोशिश करते हैं। यह सफलता न केवल पटना के यात्रियों के लिए राहत लाएगी, बल्कि ठगी के इस संगठित तरीके पर भी लगाम लगाने का काम करेगी।


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