अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 12 जून को हुए उस भयानक हादसे को आज भी कोई नहीं भूल पाया है, जिसने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था। लंदन के लिए टेक ऑफ करते हुए एअर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान कुछ ही देर बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह हादसा मेघाणीनगर इलाके के मेडिकल हॉस्टल परिसर के पास हुआ, जहां विमान का मलबा बिखर गया। इस दुर्घटना में विमान में सवार कुल 242 लोगों में से 241 लोगों की मौत हो गई, जो भारतीय विमानन इतिहास का एक काला दिन था।
हादसे के बाद जांच प्रक्रिया
विमान हादसे के बाद तुरंत ही एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने सक्रिय भूमिका निभाई। जांच एजेंसी ने विमान के दोनों ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिए, जो हादसे के कारणों को समझने में अहम साबित होंगे। हाल ही में AAIB ने संसद की स्थायी समिति पर परिवहन, पर्यटन और संस्कृति के विषय में अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में विमान के मलबे को इसके मूल उपकरण निर्माता (OEM) के पास भेजने की योजना का उल्लेख है ताकि तकनीकी खामियों की जांच की जा सके।
संसदीय समिति की बैठक की अध्यक्षता जेडीयू सांसद संजय झा ने की, जिसमें एयर इंडिया के CEO और MD कैंपबेल विल्सन के साथ देश की प्रमुख एयरलाइनों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। सूत्रों ने बताया कि रिपोर्ट में अभी केवल अंतरिम निष्कर्ष ही शामिल हैं, अंतिम रिपोर्ट अभी तैयार नहीं हुई है और जांच अभी भी जारी है।
एविएशन सुरक्षा मानकों पर उठे सवाल
बैठक में सांसदों ने विमानन सुरक्षा के मानकों पर कई गंभीर सवाल उठाए। खासतौर पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) कर्मचारियों पर अत्यधिक दबाव को लेकर चिंता जताई गई। कहा गया कि इस दबाव के कारण मानव त्रुटि की संभावना बढ़ जाती है, जो इस तरह के हादसों का कारण बन सकती है। साथ ही, डीजीसीए (DGCA) में कई महत्वपूर्ण पद खाली होने की बात कही गई, जिन्हें जल्द से जल्द भरने की सिफारिश की गई। सांसदों ने समिति की पूर्व की सिफारिशों को लागू न किए जाने पर नाराजगी भी व्यक्त की।
दुर्घटना के बाद घरेलू उड़ानों में 8% से अधिक गिरावट और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में लगभग 1% की गिरावट दर्ज की गई है। सांसदों ने हवाई अड्डों के आसपास अव्यवस्थित शहरीकरण और घनी आबादी के नजदीक बसे इलाकों को लेकर भी चिंता जताई, क्योंकि इससे सुरक्षा में और भी जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं।
रिपोर्ट कब होगी सार्वजनिक?
AAIB ने दुर्घटना के अगले ही दिन जांच शुरू कर दी थी। जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की गई, जो लगातार काम कर रही है। AAIB प्रमुख जीवीजी युगंधर ने संसदीय समिति को बताया कि अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के नियमों के अनुसार, 30 दिनों के भीतर एक प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की जाएगी। यह रिपोर्ट मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी ताकि सभी हितधारक और जनता इस जानकारी तक पहुंच सकें।
ब्लैक बॉक्स और तकनीकी जांच
दुर्घटना के बाद विमान के दोनों ब्लैक बॉक्स को दो अलग-अलग विमानों से भारत लाया गया। ये ब्लैक बॉक्स सुरक्षित हालत में मिले और उनकी जांच के लिए नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) की मदद ली गई। भारत में ही ब्लैक बॉक्स डेटा डिकोड करने वाला उपकरण भी लाया गया, जिससे दुर्घटना के दौरान की तकनीकी जानकारियों को निकाला जा सके।
इस डेटा को एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से हुए संवाद के साथ मिलाकर जांच की जा रही है। इसके साथ ही अमेरिकी विमान निर्माता बोइंग के एक्सपर्ट और अन्य अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ भी जांच प्रक्रिया में सहयोग कर रहे हैं ताकि हादसे के पीछे की असली वजहों का पता लगाया जा सके।
हादसे की व्यापक छाप
इस हादसे ने न केवल विमानन क्षेत्र में बल्कि आम जनता के मन में भी गहरी छाप छोड़ी है। एक बड़े विमान में इतनी संख्या में लोगों की मौत ने सुरक्षा मानकों और प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसके साथ ही विमानन अधिकारियों और सरकार पर भी दबाव बढ़ा है कि वे विमानन सुरक्षा को और मजबूत करें और ऐसी घटनाओं को दोबारा न होने दें।
भविष्य के लिए उठाए गए कदम
संसदीय समिति की बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि हवाई अड्डों के आसपास के क्षेत्रों में शहरीकरण को नियंत्रित करने और विमानन सुरक्षा के नियमों का सख्ती से पालन कराने की आवश्यकता है। डीजीसीए में खाली पदों को भरने और एटीसी स्टाफ की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया गया है ताकि वे काम के भारी बोझ को सही ढंग से संभाल सकें।
एयरलाइनों को भी सुझाव दिया गया है कि वे अपने विमानों की नियमित जांच और रखरखाव पर और ज्यादा ध्यान दें। साथ ही पायलटों और एटीसी कर्मचारियों के प्रशिक्षण को और मजबूत बनाया जाए। एयर इंडिया के CEO ने भी कहा कि कंपनी सभी जांचों में पूरी मदद कर रही है और सुरक्षा मानकों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।
निष्कर्ष
12 जून का विमान हादसा भारतीय विमानन इतिहास की एक दुखद घटना के रूप में याद रखा जाएगा। हालांकि जांच अभी जारी है, लेकिन इससे यह स्पष्ट हो गया है कि विमानन सुरक्षा को लेकर अभी भी कई कमियां हैं, जिन्हें तुरंत दूर करना जरूरी है। इसके साथ ही सरकार, विमानन विभाग और एयरलाइनों को मिलकर काम करना होगा ताकि भविष्य में इस तरह के हादसे न हों और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।