कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री (Deputy CM) डीके शिवकुमार एक बार फिर अपने बेबाक बयानों को लेकर चर्चा में हैं। राज्य में कांग्रेस सरकार का आधा कार्यकाल पूरा होने के कारण कैबिनेट में संभावित बदलाव और नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज़ हैं। इन अटकलों के बीच, शिवकुमार ने महत्वाकांक्षी विधायकों का खुलकर समर्थन किया, लेकिन खुद के मुख्यमंत्री बनने के सवाल को ज्योतिषियों के पाले में डाल दिया। पिछले कुछ दिनों से, कर्नाटक के कई विधायक खुलेआम मंत्री बनने की इच्छा ज़ाहिर कर रहे हैं। इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए डीके शिवकुमार ने कहा, "अगर कोई विधायक महत्वाकांक्षी है, तो इसमें क्या बुराई है? मुख्यमंत्री के पास विधायकों को मंत्री बनाने का विकल्प होता है। जो पार्टी के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, उन सभी की महत्वाकांक्षा होती है। क्या हम इसे गलत ठहरा सकते हैं? उन्होंने पार्टी के लिए काफी संघर्ष और त्याग किया है।" शिवकुमार का यह बयान पार्टी के भीतर पनप रही इच्छाओं को वैधता प्रदान करता है।
नेतृत्व परिवर्तन पर ज्योतिषियों से पूछें
कर्नाटक की सत्ता की कमान संभालने से जुड़े सवालों पर डीके शिवकुमार का जवाब दिलचस्प रहा। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह जल्द ही राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे, तो उन्होंने भविष्यवाणी करने वाले पत्रकारों को सलाह दी: "नेतृत्व परिवर्तन और कैबिनेट में फेरबदल पर भविष्यवाणी के लिए किसी ज्योतिषी से परामर्श ले लें।" उनका यह जवाब एक ओर जहां अटकलों पर विराम लगाने की कोशिश थी, वहीं दूसरी ओर यह उनके और वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बीच संभावित सत्ता परिवर्तन के 'अधूरे समझौते' की चर्चा को और हवा देता है।
दिल्ली दौरे से बढ़ी अटकलें
कर्नाटक में कैबिनेट फेरबदल की अटकलें तब तेज़ हुईं जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कई कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से भी बैठकें कीं। डीके शिवकुमार भी बेंगलुरु से दिल्ली आए थे और उनकी वापसी के बाद ही यह सवाल उठने लगे कि क्या कर्नाटक की कमान अब उन्हें मिलने वाली है? हालांकि, डिप्टी सीएम ने अपने दिल्ली दौरे की वजह साफ करते हुए बताया कि वह कर्नाटक में बनने वाले कांग्रेस के 100 नए दफ्तरों के शिलान्यास समारोह के लिए मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी को निमंत्रण देने गए थे।
नवंबर क्रांति की चर्चा
नवंबर में कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बने ढाई साल पूरे हो चुके हैं। राज्य में यह चर्चा ज़ोरों पर है कि ढाई-ढाई साल के फ़ॉर्मूले के तहत सत्ता में फेरबदल हो सकता है। कई राजनीतिक विश्लेषकों ने इस संभावित बदलाव को 'नवंबर क्रांति' का नाम देना शुरू कर दिया है। फिलहाल, डीके शिवकुमार ने महत्वाकांक्षी विधायकों का समर्थन करके पार्टी के भीतर के माहौल को सामान्य करने की कोशिश की है, जबकि शीर्ष नेतृत्व परिवर्तन का मामला अभी भी कांग्रेस आलाकमान के हाथों में है।