देशभर में उपयोग किए जाने वाले कमर्शियल एलपीजी गैस सिलेंडरों की कीमतों में आज, 1 सितंबर 2025 से 51 रुपये तक की कटौती की गई है। तेल विपणन कंपनियों (OMCs) ने यह फैसला उपभोक्ताओं की सुविधा और ईंधन लागत में राहत देने के उद्देश्य से लिया है।
यह कटौती सिर्फ 19 किलोग्राम वाले वाणिज्यिक सिलेंडर पर लागू की गई है, जबकि घरेलू 14.2 किलो के एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। नई दरें आज से देशभर में प्रभावी हो गई हैं।
नए रेट (1 सितंबर 2025 से):
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दिल्ली: ₹1580
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कोलकाता: ₹1683
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मुंबई: ₹1531
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चेन्नई: ₹1737
इससे पहले दिल्ली में यह सिलेंडर ₹1631 में मिल रहा था। यानी कुल मिलाकर ₹51 की कटौती हुई है।
मर्शियल सिलेंडरों की कीमतों में लगातार गिरावट
अगर जनवरी 2025 से अब तक के आंकड़ों पर नजर डालें, तो कीमतों में गिरावट की एक साफ ट्रेंड दिखाई देती है।
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जनवरी 2025: ₹14.50 की कमी
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फरवरी 2025: ₹7 की कमी
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मार्च 2025: कोई बदलाव नहीं
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सितंबर 2025: ₹51.50 की कटौती
इस तरह देखा जाए तो साल की शुरुआत से अब तक कुल ₹73 से ज्यादा की राहत दी जा चुकी है।
खाने-पीने के कारोबारियों को राहत
यह कटौती उन होटलों, रेस्टोरेंटों, ढाबों और कैटरिंग व्यवसायों के लिए खासतौर पर फायदेमंद है, जहां 19 किलो वाले सिलेंडरों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है।
ईंधन की लागत कम होने से इनके ऑपरेटिंग कॉस्ट में कमी आएगी, जिससे मुनाफे में बढ़ोतरी संभव है। यह रेट कटौती ऐसे समय में आई है जब त्योहारों का मौसम करीब है, और इस दौरान खाद्य उद्योग में गैस की खपत बढ़ जाती है।
🏠 घरेलू उपभोक्ताओं को नहीं मिली राहत
जहां कमर्शियल गैस उपभोक्ताओं को राहत दी गई है, वहीं घरेलू एलपीजी सिलेंडरों की कीमतें अब भी जस की तस बनी हुई हैं।
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दिल्ली: ₹853
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कोलकाता: ₹879
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मुंबई: ₹852.50
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चेन्नई: ₹868.50
इनमें आखिरी बदलाव 8 अप्रैल 2025 को हुआ था, जब ₹50 की बढ़ोतरी की गई थी। उसके बाद से अब तक कोई बदलाव नहीं किया गया है।
LPG कनेक्शन में भारी बढ़ोतरी
पिछले 10 वर्षों में घरेलू एलपीजी कनेक्शनों की संख्या में दोगुना इजाफा हुआ है।
यह दर्शाता है कि एलपीजी अब भारतीय परिवारों के जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है।
क्या घरेलू सिलेंडर में भी मिल सकती है राहत?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर वैश्विक कच्चे तेल और गैस कीमतें स्थिर बनी रहीं, तो अगले कुछ महीनों में घरेलू सिलेंडर के दामों में भी राहत संभव है। फिलहाल कंपनियां व्यापारिक उपयोग को प्राथमिकता दे रही हैं, जिससे उद्योगों पर आर्थिक दबाव कम किया जा सके।
निष्कर्ष:
1 सितंबर से लागू हुई यह 51 रुपये की कटौती न केवल व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देगी, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए राहत का संकेत भी है। हालांकि घरेलू एलपीजी उपभोक्ताओं को अब भी इंतजार है, लेकिन यदि यही ट्रेंड जारी रहा, तो अगली बारी उनकी हो सकती है।
ईंधन की कीमतों में स्थिरता सरकार और कंपनियों दोनों के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो महंगाई नियंत्रण में भी सहायक साबित हो सकती है।