बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की गहमागहमी के बीच, जन सुराज पार्टी ने नालंदा जिले में एक महत्वपूर्ण और रणनीतिक कदम उठाया है। पार्टी ने जिले की सात में से पाँच विधानसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जिसमें स्थानीय पंचायत और नगर निकाय प्रतिनिधियों को प्रमुखता दी गई है। यह फैसला जन सुराज की जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने की स्पष्ट रणनीति को दर्शाता है।
पार्टी ने इस्लामपुर विधानसभा सीट से जिला परिषद अध्यक्ष तनुजा कुमारी को, नालंदा सीट से जिला परिषद सदस्य कुमारी पूनम सिन्हा को, और हरनौत सीट से जिला परिषद सदस्य कमलेश पासवान को चुनावी मैदान में उतारा है। शहरी प्रतिनिधित्व को मजबूत करते हुए, बिहार शरीफ सीट से नगर निकाय के पूर्व मेयर दिनेश प्रसाद को टिकट दिया गया है।
जन सुराज के इस निर्णय से ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों में पार्टी की पैठ बढ़ने की उम्मीद है। स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों को मौका दिए जाने से जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं और सामान्य जनता के बीच खासा उत्साह देखा जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में इस कदम को पारंपरिक राजनीतिक परिदृश्य से हटकर एक प्रयोग माना जा रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि यह रणनीति स्थानीय जुड़ाव और जमीनी पकड़ को प्राथमिकता देती है, जिससे जिले के मौजूदा चुनावी समीकरणों में बड़ा बदलाव आ सकता है। यह साफ संकेत है कि जन सुराज पार्टी जमीनी नेताओं को आगे लाकर बिहार की राजनीति को एक नई दिशा देने की कोशिश कर रही है।
मतदान प्रतिशत बढ़ाने में दिव्यांगजन मतदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका
आगामी विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के उद्देश्य से नालंदा जिले में दिव्यांगजन मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करने पर जोर दिया जा रहा है। इसी कड़ी में, जिला स्वीप आइकन और नि:शक्त सुदर्शन कुमार के नेतृत्व में सोमवार को जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण कोषांग के सभागार में एक प्रेरक बैठक आयोजित की गई।
इस बैठक में जिले के कई दिव्यांगजन मतदाताओं ने हिस्सा लिया और सभी ने मिलकर मतदाता जागरूकता अभियान को गति देने का संकल्प लिया। सुदर्शन कुमार ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मतदान के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा, "लोकतंत्र में हर वोट की अपनी अहमियत होती है। यदि हम सभी अपने मताधिकार का सही इस्तेमाल करें, तो हमारा लोकतंत्र और मजबूत हो सकता है।"
उन्होंने सभी दिव्यांगजनों से न केवल स्वयं मतदान करने, बल्कि अपने परिवार, पड़ोस और मोहल्ले के लोगों को भी मतदान के लिए प्रेरित करने का आह्वान किया। उनका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि "एक भी मत बेकार न जाए।" बैठक में मौजूद दिव्यांगजनों को उनके लोकतांत्रिक अधिकारों की पूरी जानकारी दी गई, जिससे वे पूरी जागरूकता और संकल्प के साथ चुनाव प्रक्रिया में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकें। दिव्यांगजन मतदाताओं की यह सक्रियता जिले में समग्र मतदान प्रतिशत में वृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण कारक साबित हो सकती है।