भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की दिग्गज नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के पति, स्वराज कौशल का 4 दिसंबर को दिल्ली में निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। स्वराज कौशल सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील थे, जिन्होंने सार्वजनिक जीवन में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं।
🇮🇳 देश के सबसे युवा राज्यपाल का रिकॉर्ड
स्वराज कौशल का सार्वजनिक जीवन उपलब्धियों से भरा रहा। साल 1990 में, महज 37 साल की उम्र में, उन्हें मिजोरम का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। इस पद पर रहते हुए उन्होंने 9 फरवरी 1993 तक देश के सबसे युवा राज्यपाल होने का रिकॉर्ड बनाया। यह एक दिलचस्प संयोग है कि उनकी पत्नी, दिवंगत सुषमा स्वराज के नाम भी देश की सबसे युवा कैबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ड दर्ज है।
दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर उनके निधन की खबर साझा करते हुए दुःख व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, "मिजोरम के पूर्व राज्यपाल एवं वरिष्ठ अधिवक्ता श्री स्वराज कौशल जी के आकस्मिक निधन की खबर सुनकर अत्यंत दुःख हुआ। उन्होंने निष्ठा-बुद्धिमत्ता और अद्वितीय समर्पण के साथ राष्ट्र की सेवा की।"
राज्यसभा में भी निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
स्वराज कौशल का राजनीतिक सफर भी शानदार रहा।
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1998 में, वे हरियाणा विकास पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर राज्यसभा सांसद चुने गए और 1998 से 2004 तक इस पद पर रहे।
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खास बात यह है कि 1998-99 के दौरान, जहाँ सुषमा स्वराज लोकसभा में थीं, वहीं स्वराज कौशल राज्यसभा में थे।
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साल 2000 से 2004 तक, यह दंपति एक साथ राज्यसभा सांसद रहा।
मिजोरम शांति समझौता कराने में अहम योगदान
स्वराज कौशल उत्तर-पूर्व मामलों के बड़े जानकार माने जाते थे। आपातकाल (Emergency) के दौरान भी उनकी कानूनी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही थी, जब उन्होंने बड़ौदा डायनामाइट केस में जॉर्ज फर्नांडीज और 24 अन्य लोगों पर लगे फर्जी आरोपों के खिलाफ कोर्ट में पैरवी की थी।
उत्तर-पूर्व में उनके सबसे बड़े योगदानों में से एक 1979 में अंडरग्राउंड मिजो लीडर लालडेंगा की रिहाई में निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका थी। बाद में, वे मिजो नेशनल फ्रंट के संवैधानिक सलाहकार बने और वार्ताओं के कई राउंड के बाद मिजोरम शांति समझौता तैयार हुआ, जिसने 20 साल पुराने विद्रोह का अंत किया। इसी योगदान के कारण उन्हें मिजोरम का गवर्नर नियुक्त किया गया था।
चमकदार कानूनी करियर और परिवार
कानूनी क्षेत्र में भी उनका करियर बेहद चमकदार रहा। दिसंबर 1986 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया, और इसके एक साल बाद ही वे एडवोकेट जनरल भी बने। राजनीतिक विचारधारा से वे समाजवादी कैंप के करीब थे।
स्वराज कौशल ने 13 जुलाई 1975 को ABVP कार्यकर्ता और RSS नेता की बेटी सुषमा स्वराज से विवाह किया। उनकी बेटी बांसुरी स्वराज ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हैं और बतौर बैरिस्टर दिल्ली हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करती हैं। अपने लंबे सार्वजनिक जीवन के बावजूद, स्वराज कौशल आमतौर पर एक लो-प्रोफाइल व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे।