इजरायली नागरिक ड्रोर गोल्डस्टीन ने अपनी बेटियों की साझा कस्टडी की मांग की है। गोल्डस्टीन ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में बताया कि वह अपनी बेटियों के साथ हफ्ते में कुछ समय बिताना चाहते हैं और उनकी देखभाल करना चाहते हैं। उनकी चिंता इस बात को लेकर है कि यदि उनकी बेटियां अभी रूस चली गईं तो उनसे संपर्क बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए वे चाह रहे हैं कि उनकी बेटियां भारत में ही रहें। गोल्डस्टीन ने कहा कि वे साल में करीब छह महीने गोवा में रहते हैं और पिछले कुछ वर्षों से अपनी पत्नी नीना कुटीना से अलग रह रहे हैं। कुछ महीने पहले नीना अपनी बेटियों के साथ गोवा छोड़कर चली गई थी, जिसके बाद से उनका उनसे कोई संपर्क नहीं है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 14 दिसंबर 2024 को ड्रोर गोल्डस्टीन ने गोवा के पणजी पुलिस स्टेशन में नीना की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि उनके दो बच्चे हैं, जिनमें से एक का जन्म जून 2018 में यूक्रेन में और दूसरी का मई 2020 में गोवा में हुआ था। गोल्डस्टीन ने कहा कि उन्होंने नीना और बच्चों को वित्तीय सहायता देना जारी रखा, लेकिन नीना के कथित गाली-गलौज और झगड़ों के कारण उन्होंने उससे दूरी बनानी शुरू कर दी।
ड्रोर गोल्डस्टीन ने आरोप लगाया कि नीना का उनके प्रति व्यवहार खराब था और उन्हें ऐसा लग रहा था कि उनका इस्तेमाल केवल पैसों के लिए किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वे अक्सर गोवा जाते थे ताकि नीना और बेटियों से मिल सकें, लेकिन नीना उनसे दूर रहती थीं और कई बार बिना बताए गायब हो जाती थीं। गोल्डस्टीन ने यह भी कहा कि उन्होंने कई बार कोशिश की कि वे अपनी बेटियों से मिल सकें, लेकिन नीना ने उन्हें कभी भी अनुमति नहीं दी। इसके अलावा उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि नीना बेटियों का 'ब्रेनवॉश' करती थीं और उन्हें उनसे दूर रहने को कहती थीं।
अपनी पुलिस शिकायत में ड्रोर गोल्डस्टीन ने कहा है कि वे अपनी बेटियों के जीवन का हिस्सा बनना चाहते हैं और उन्हें भावनात्मक व आर्थिक सहायता देना चाहते हैं। वे अपने स्वास्थ्य और उनकी भलाई को लेकर चिंतित हैं। शिकायत में बताया गया है कि बच्चों को किसी से मिलने-जुलने की अनुमति नहीं है और उन्हें एक बंद समूह में रखा गया है।
फिलहाल नीना और उनकी बेटियां कर्नाटक के तुमकुरु जिले में डिब्बूर स्थित विदेशी हिरासत केंद्र (FDC) में रखी गई हैं। जांच में यह पाया गया कि परिवार वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी भारत में रह रहा था, इसलिए उन्हें हिरासत में लिया गया है। अधिकारी यह भी जांच कर रहे हैं कि क्या वीजा समाप्त होने के बाद किसी व्यक्ति या समूह ने उनकी मदद की है।
ड्रोर गोल्डस्टीन की यह अपील परिवार के सदस्यों के बीच जटिल संबंधों और कानूनी संघर्ष को दर्शाती है। उनकी मांग है कि उनकी बेटियां भारत में रहें ताकि वे उनसे संपर्क बनाए रख सकें और उनकी देखभाल कर सकें। यह मामला अंतरराष्ट्रीय नागरिकता, कस्टडी और कानूनी अधिकारों के मुद्दों को भी सामने लाता है, जो किसी परिवार के लिए बेहद संवेदनशील होते हैं।
इस पूरे विवाद में परिवार की भलाई और बच्चों के भविष्य की चिंता सबसे अहम बनी हुई है, जिसके लिए संबंधित अधिकारियों और परिवार के सदस्यों द्वारा उचित समाधान की तलाश जारी है।