आज कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ है, जो भारतीय सेना की वीरता और देशभक्ति की अमर गाथा को याद करने का अवसर है। इस मौके पर हम विशेष रूप से कैप्टन विक्रम बत्रा को याद करते हैं, जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान 7 जुलाई 1999 को अपने प्राणों की आहुति देकर देश को एक अमूल्य तोहफा दिया। उन्होंने दुश्मन के कब्जे से टाइगर हिल के पॉइंट 4875 को मुक्त कराया और वहां तिरंगा लहराकर पूरे देश को गौरवान्वित किया। उनकी बहादुरी की कहानी को बॉलीवुड फिल्म 'शेरशाह' (2021) में दर्शाया गया, जिसमें सिद्धार्थ मल्होत्रा ने उनकी भूमिका निभाई।
कैप्टन विक्रम बत्रा: एक अमर शहीद
कैप्टन विक्रम बत्रा भारतीय सेना की 13 जम्मू और कश्मीर राइफल्स के अधिकारी थे। ऑपरेशन विजय के दौरान उन्होंने न केवल पॉइंट 5140 बल्कि पॉइंट 4875 को भी दुश्मनों से छीन लिया। पॉइंट 4875 जिसे आज बत्रा टॉप के नाम से जाना जाता है, वहां उन्होंने वीरता की ऐसी मिसाल कायम की, जो सदियों तक याद रखी जाएगी। 7 जुलाई 1999 को यहां लड़ते हुए वे शहीद हो गए। उनकी वीरता और देशभक्ति के लिए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत परम वीर चक्र से सम्मानित किया।
उनकी बहादुरी का नारा ‘ये दिल मांगे मोर’ आज भी जवानों और देशवासियों के दिलों में गर्व की भावना जगाता है। उनके नाम पर पूरे देश में सड़कों, स्कूलों और सैन्य चौकियों का नामकरण किया गया है, ताकि आने वाली पीढ़ियां उनकी शहादत को कभी न भूलें।
डिंपल चीमा: विक्रम बत्रा की मंगेतर
कैप्टन विक्रम बत्रा की मंगेतर डिंपल चीमा भी उनकी शहादत की एक अनमोल कहानी हैं। डिंपल वर्तमान में चंडीगढ़ में रहती हैं और एक स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। विक्रम की शहादत के बाद डिंपल ने शादी नहीं की और जीवन भर उनकी यादों को संभाल कर रखा। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे विक्रम को अपनी आत्मा का हिस्सा मानती हैं और उनकी यादों के साथ ही जीवन बिताना चाहती हैं।
डिंपल ने अपना जीवन समाज सेवा और शिक्षण कार्य को समर्पित कर दिया है और वह सार्वजनिक जीवन से दूर रहना पसंद करती हैं। उनकी यह गाथा प्रेम, समर्पण और बलिदान की वह मिसाल है, जो हर भारतीय के दिल को छू जाती है।
कैप्टन विक्रम बत्रा का परिवार
कैप्टन विक्रम बत्रा का परिवार हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के पालमपुर में रहता है। उनके पिता जीएल बत्रा, जुड़वा भाई विशाल बत्रा और बहनें सीमा एवं नूतन उनके परिवार में हैं। दुर्भाग्य से फरवरी 2024 में उनकी माता कमलकांता बत्रा का निधन हो गया। परिवार भी अपनी निजी जिंदगी को प्राथमिकता देता है और वे सार्वजनिक जीवन से काफी दूरी बनाए रखते हैं।
विक्रम और डिंपल की प्रेम कहानी
कैप्टन विक्रम बत्रा और डिंपल चीमा की मुलाकात 1995 में पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में हुई थी, जहां दोनों एमए इंग्लिश के छात्र थे। डिंपल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई। 1996 में विक्रम ने अपनी पढ़ाई छोड़कर भारतीय सैन्य अकादमी में दाखिला लिया, लेकिन वे पत्राचार और फोन कॉल्स के जरिए संपर्क में रहे।
उनकी प्रेम कहानी में देशभक्ति की गहराई और व्यक्तिगत प्रेम का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। विक्रम बत्रा की शहादत ने उनके प्रेम को अमर बना दिया, जो आज भी सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
शेरशाह: कैप्टन विक्रम बत्रा की वीरता की सजीव तस्वीर
2021 में रिलीज हुई फिल्म 'शेरशाह' ने विक्रम बत्रा की कहानी को बड़े पर्दे पर जीवंत किया। सिद्धार्थ मल्होत्रा ने अपने अभिनय से कैप्टन विक्रम बत्रा की शहादत, साहस और देशभक्ति को दर्शकों के दिलों तक पहुंचाया। फिल्म ने न केवल उनकी वीरता को सम्मानित किया, बल्कि पूरे देश में कारगिल विजय दिवस को और भी यादगार बना दिया।
निष्कर्ष
कारगिल विजय दिवस पर हम न केवल उस युद्ध की याद करते हैं, बल्कि उन लाखों जवानों को भी सलाम करते हैं जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। कैप्टन विक्रम बत्रा की शहादत उन सभी के लिए प्रेरणा है जो देश के लिए कुछ करना चाहते हैं। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि देशभक्ति, प्रेम और बलिदान का मेल किस तरह से इतिहास रचता है।
आज 26वीं कारगिल विजय दिवस पर, हम सभी को यह प्रण लेना चाहिए कि हम अपने देश के लिए समर्पित इन वीरों की वीरता को कभी नहीं भूलेंगे और उनकी आत्माओं को सदैव सम्मान देंगे।
जय हिंद!
जय भारत!