मुंबई, 14 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सड़क हादसों से जुड़ी लापरवाही पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि महाराष्ट्र में गड्ढों या खुले मैनहोल की वजह से होने वाली मौतों के मामलों में पीड़ित परिवारों को छह लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा। वहीं, अगर किसी व्यक्ति को इन हादसों में चोट लगती है, तो उसे 50 हजार से 2.50 लाख रुपए तक की भरपाई मिलेगी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इन घटनाओं के लिए सिर्फ ठेकेदार ही नहीं, बल्कि नगरपालिका और सरकारी अधिकारी भी जिम्मेदार माने जाएंगे। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और संदीश डी. पाटिल की खंडपीठ ने आदेश दिया कि सभी योग्य पीड़ितों को छह से आठ हफ्तों के भीतर मुआवजा दिया जाए। यदि किसी मामले में देरी होती है, तो कमिश्नर, जिला कलेक्टर या सीईओ जैसे जिम्मेदार अधिकारी व्यक्तिगत रूप से इसके लिए जवाबदेह होंगे और उन्हें ब्याज सहित भुगतान करना होगा। यह रकम संबंधित अधिकारी, इंजीनियर या ठेकेदार से वसूली जाएगी।
यह मामला 2013 में उस समय शुरू हुआ था जब बॉम्बे हाईकोर्ट के जज जी.एस. पटेल (अब सेवानिवृत्त) ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा था कि मुंबई जैसी महानगरी में खराब सड़कों की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। इसी पत्र के आधार पर अदालत ने यह केस दर्ज किया था। कोर्ट ने टिप्पणी की कि अब समय आ गया है जब गड्ढों और खुले मैनहोल से होने वाली मौतों या चोटों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को सीधे जवाबदेह ठहराया जाए। अदालत ने कहा कि जब तक ठेकेदारों और अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार नहीं बनाया जाएगा, तब तक वे इस गंभीर समस्या को गंभीरता से नहीं लेंगे।
बेंच ने मुंबई की सड़कों की हालत पर नाराजगी जताते हुए कहा कि देश की आर्थिक राजधानी और एशिया की सबसे संपन्न संस्थाओं में से एक बीएमसी के होते हुए भी सड़कों का हाल बेहद खराब है। अदालत ने कहा कि अच्छी और सुरक्षित सड़कें नागरिकों का मौलिक अधिकार हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 21 यानी जीवन के अधिकार के तहत आती हैं। खराब सड़कें न केवल जान के लिए खतरा हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था और कंपनियों की उत्पादकता पर भी नकारात्मक असर डालती हैं। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि हर नगर क्षेत्र में निगरानी समितियां बनाई जाएंगी, जो गड्ढों या मैनहोल से जुड़ी दुर्घटनाओं और मौतों की जांच करेंगी। ये समितियां पीड़ितों को मिलने वाले मुआवजे की राशि तय करेंगी और घटनाओं की सूचना मिलते ही सात दिन के भीतर बैठक करेंगी। उन्हें हर 15 दिन में प्रगति रिपोर्ट भी देनी होगी, खासकर बारिश के मौसम में। पुलिस को भी आदेश दिया गया है कि गड्ढों या मैनहोल से जुड़े हादसों की रिपोर्ट 48 घंटे के भीतर समिति को भेजें। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि अगर किसी इलाके में गड्ढे या खुले मैनहोल की सूचना मिलती है, तो संबंधित विभाग को 48 घंटे के भीतर उसे दुरुस्त करना होगा। ऐसा न करने पर यह गंभीर लापरवाही मानी जाएगी और जिम्मेदार अधिकारियों या ठेकेदारों पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
उधर, सड़क हादसों के बढ़ते आंकड़ों पर चिंता जताते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में बताया कि जनवरी से जुलाई 2025 के बीच सिर्फ नेशनल हाईवे पर 26,770 लोगों की मौत हुई। 2024 में हाईवे पर कुल 52,609 हादसे हुए थे। देशभर में करीब 13,795 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं, जिनमें से अधिकांश का सुधार किया जा चुका है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2018 से 2022 के बीच देश में सड़क हादसों में कुल 7.77 लाख लोगों की मौत हुई। इनमें सबसे ज्यादा 1.08 लाख मौतें उत्तर प्रदेश में दर्ज की गईं, जबकि तमिलनाडु में 84 हजार और महाराष्ट्र में 66 हजार लोगों की जानें गईं।