नई दिल्ली: देश के प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट समूहों में से एक, जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (JIL) से जुड़ी एक बड़ी खबर में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज गौड़ को मनी लॉन्ड्रिंग के एक सनसनीखेज मामले में गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी ₹12,000 करोड़ के कथित घोटाले से जुड़ी है, जिसमें हजारों घर खरीदारों के पैसों की हेराफेरी का गंभीर आरोप है।
ED के अधिकारियों ने गुरुवार को इस कार्रवाई की पुष्टि की। गौड़ को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया गया है। उन पर आरोप है कि उनके और उनकी मुख्य कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) के माध्यम से घर खरीदारों से एकत्र किए गए धन का दुरुपयोग किया गया और इसे समूह की अन्य परियोजनाओं में डाइवर्ट कर दिया गया, जिससे घर खरीदार प्रभावित हुए।
छापेमारी के बाद हुई गिरफ्तारी
यह गिरफ्तारी मई 2025 में ED द्वारा की गई बड़े पैमाने पर छापेमारी की कार्रवाई का परिणाम है। उस समय, ED ने दिल्ली, मुंबई और अन्य जगहों पर जेपी इंफ्राटेक, जेपी एसोसिएट्स और संबंधित कंपनियों के लगभग 15 ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया था। इस छापेमारी के दौरान, एजेंसी ने ₹1.70 करोड़ से अधिक नकद, महत्वपूर्ण वित्तीय दस्तावेज, बैंक रिकॉर्ड और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त किए थे।
ईडी की जांच में पाया गया कि कंपनी ने अपने नोएडा एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट के तहत फ्लैट बुक करने वाले करीब 20,000 लोगों के पैसों का कथित तौर पर दुरुपयोग किया। इन खरीदारों ने अपने सपनों के घर के लिए अग्रिम राशि जमा की थी, लेकिन उन्हें न तो घर मिला और न ही उनका पैसा वापस किया गया। यह धोखाधड़ी वर्षों से चल रही है, जिसने हजारों परिवारों को अधर में लटका दिया है।
एक लंबा कानूनी विवाद
जेपी समूह, जो इंफ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट, सीमेंट और पावर जैसे क्षेत्रों में एक बड़ा नाम रहा है, 2020 से ही वित्तीय अनियमितताओं और धोखाधड़ी के आरोपों का सामना कर रहा है। कंपनी पर कुल ₹54,000 करोड़ से अधिक का भारी कर्ज है, जिसमें प्रमुख लेनदारों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (₹15,465 करोड़ का क्लेम) और आईसीआईसीआई बैंक (₹10,443 करोड़ का क्लेम) शामिल हैं।
मनोज गौड़ की गिरफ्तारी इस लंबे और जटिल मनी लॉन्ड्रिंग केस में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। घर खरीदारों, जिन्होंने वर्षों से न्याय के लिए लड़ाई लड़ी है, के लिए यह कार्रवाई एक बड़ी राहत और न्याय की दिशा में एक ठोस कदम हो सकती है। ईडी अब गौड़ से इस धोखाधड़ी की विस्तृत मनी ट्रेल और फंड के डायवर्जन की सीमा का पता लगाने के लिए गहन पूछताछ करेगी।
इस गिरफ्तारी से यह संदेश स्पष्ट होता है कि देश में वित्तीय अपराधों और घर खरीदारों के साथ धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ कानून की कार्रवाई तेज़ हुई है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच आगे कैसे बढ़ती है और क्या इससे पीड़ित घर खरीदारों को अंततः उनका हक मिल पाता है।