मुंबई, 28 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कोलकाता के लॉ कॉलेज में एक छात्रा से गैंगरेप के मामले में मेडिकल जांच रिपोर्ट में रेप की पुष्टि हो गई है। यह जांच कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में की गई, जिसमें पीड़िता के शरीर पर जबरदस्ती, दांत और नाखून के निशान, साथ ही मारपीट की पुष्टि हुई है। कस्बा पुलिस के अनुसार पीड़िता के साथ अत्यधिक क्रूरता की गई और उसके बयान के आधार पर आरोपी तीन युवकों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इस मामले में पुलिस ने 26 जून को दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जबकि तीसरे को शुक्रवार सुबह हिरासत में लिया गया। कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 1 जुलाई तक पुलिस रिमांड में भेज दिया है। वहीं कॉलेज के 55 वर्षीय गार्ड पिनाकी बनर्जी को भी शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया है। यह घटना 25 जून को शाम करीब 7:30 बजे कॉलेज परिसर के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित गार्ड रूम में हुई थी। आरोपियों में मनोजीत मिश्रा, जो कॉलेज का पूर्व छात्र है, मुख्य आरोपी है, जबकि जैब अहमद और प्रमित मुखर्जी अभी कॉलेज के छात्र हैं। पीड़िता के अनुसार तीनों ने करीब साढ़े तीन घंटे तक उसके साथ रेप किया और बेरहमी से मारा-पीटा।
पीड़िता ने शिकायत में बताया कि रेप के दौरान उसे ठीक से सांस भी नहीं आ रही थी, उसने आरोपियों से अस्पताल ले जाने की गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया। उसे यूनियन रूम में बंद रखा गया और धमकी दी गई कि वीडियो वायरल कर देंगे। पीड़िता का कहना है कि मुख्य आरोपी मनोजीत ने पहले उसे शादी का प्रस्ताव दिया था जिसे उसने ठुकरा दिया था। इस पूरे मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। भाजपा ने चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है जिसमें सतपाल सिंह, मीनाक्षी लेखी, विप्लब देव और मनन मिश्रा शामिल हैं। पार्टी के नेताओं ने घटना को लेकर राज्य सरकार की संवेदनशीलता पर सवाल उठाए हैं।
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने आरोप लगाया कि इस मामले में एक आरोपी तृणमूल कांग्रेस से जुड़ा हुआ है। जवाब में टीएमसी स्टूडेंट विंग के प्रमुख तृणकुर भट्टाचार्य ने कहा कि आरोपी मनोजीत मिश्रा टीएमसी की छात्र इकाई का जूनियर सदस्य था, लेकिन कॉलेज में संगठन की कोई सक्रिय इकाई नहीं है। इसी बीच टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी का बयान विवाद में आ गया है, जिसमें उन्होंने कहा कि अगर दोस्त ही रेप करे तो सरकार क्या कर सकती है। इस बयान पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। राज्य की महिला और बाल विकास मंत्री शशि पांजा ने कहा कि विधानसभा ने बलात्कारियों को फांसी देने वाला अपराजिता विधेयक पास किया था, लेकिन उसे कानून बनाने से भाजपा ने रोका। उन्होंने कहा कि महिला के शरीर को राजनीतिक जंग का मैदान नहीं बनाया जाना चाहिए। मुख्य अभियोजक ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के मुताबिक अगर किसी अपराध में एक से अधिक लोग सहयोगी की भूमिका निभाते हैं, तो उन्हें भी समान रूप से दोषी माना जाता है। इसी आधार पर यह केस गैंगरेप माना गया है।