मुंबई, 22 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आवारा कुत्तों से जुड़े मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि जिन्हें पकड़ा जाता है, उनकी नसबंदी और टीकाकरण कर उसी जगह पर वापस छोड़ा जाए, जहां से उन्हें उठाया गया था। हालांकि, रेबीज से संक्रमित और आक्रामक प्रवृत्ति वाले कुत्तों को शेल्टर होम में ही रखा जाएगा। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि सार्वजनिक स्थलों पर कुत्तों को खाना न खिलाया जाए और इसके लिए नगर निगम अलग से जगह उपलब्ध कराए। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह आदेश सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश में लागू होगा। इसके अलावा, याचिकाकर्ता को 25 हजार और संबंधित NGO को 2 लाख रुपए कोर्ट में जमा कराने का आदेश दिया गया है।
बेंच ने 11 अगस्त को आए दो जजों के उस आदेश को बेहद कठोर बताया, जिसमें सभी आवारा कुत्तों को आठ हफ्तों में दिल्ली-NCR से हटाकर हमेशा के लिए शेल्टर होम भेजने का निर्देश दिया गया था। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की विशेष पीठ ने 14 अगस्त को डॉग लवर्स की याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद यह फैसला सुरक्षित रखा था। १`सुनवाई के दौरान जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि इस मुद्दे पर नेशनल लेवल पर पॉलिसी बननी चाहिए। इसके लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि देश के अलग-अलग हाईकोर्ट में लंबित सभी ऐसे मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए। अगली सुनवाई अब अक्टूबर में होगी। फैसले पर राजनीतिक नेताओं ने भी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला पशु कल्याण और जन सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। शिवसेना (UBT) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि पिछला आदेश अमानवीय था और सुप्रीम कोर्ट ने उसे ठीक कर दिया। भाजपा नेता मेनका गांधी ने भी फैसले का स्वागत किया, लेकिन उन्होंने कहा कि "खूंखार कुत्तों" की पहचान और परिभाषा को स्पष्ट करना जरूरी है।