ईरान और इजरायल के बीच 12 जून से चल रही जंग अब अपने 12वें दिन में प्रवेश कर चुकी है। इस जंग में हाल ही में अमेरिका भी सक्रिय हो चुका है, जिसने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर सटीक हमले किए हैं। अमेरिका के इस सैन्य कदम के बाद ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई की, जिसके तहत उसने इजरायल की राजधानी तेल अवीव समेत कई शहरों में बैलिस्टिक और लंबी दूरी वाली मिसाइलों से हमला किया। इस ताबड़तोड़ मिसाइल हमले को ‘ऑपरेशन ऑनेस्ट प्रॉमिस 3’ नाम दिया गया है। वहीं, इजरायल ने भी अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करते हुए ईरान की राजधानी तेहरान, केरमांशाह और हमादान में एयर स्ट्राइक की।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक
इन बढ़ते तनावों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने 23 जून को आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में ईरान, इजरायल और अमेरिका के बीच जारी तनाव पर गहरी चिंता जताई गई। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस अवसर पर ईरान में तख्तापलट की बात भी उठाई। उन्होंने कहा कि अगर ईरान की वर्तमान सरकार देश को महान नहीं बना पा रही है तो सत्ता परिवर्तन क्यों न किया जाए? इस बयान ने मध्य पूर्व की जटिल राजनीतिक तस्वीर को और उलझा दिया है।
युद्ध की वजह से वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल
ईरान और इजरायल के बीच जारी संघर्ष और अमेरिका की हस्तक्षेप के कारण वैश्विक बाजारों में भी अस्थिरता दिख रही है। 23 जून को भारत के शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज हुई। BSE सेंसेक्स में 683 अंक और निफ्टी में 216 अंक की गिरावट आई। बाजार खुलते ही सेंसेक्स 705.65 अंक गिरकर 81,702.52 के स्तर पर आ गया, जबकि निफ्टी 182.85 अंक गिरकर 24,929.55 पर पहुंचा। इस गिरावट का मुख्य कारण मध्य पूर्व में चल रहे युद्ध और उससे उत्पन्न वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता मानी जा रही है।
अमेरिका की सुरक्षा बैठक और भविष्य की रणनीति
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसी दिन अपनी नेशनल सिक्योरिटी टीम के साथ बैठक की, जिसमें ईरान के साथ जारी तनाव और भविष्य की रणनीति पर चर्चा हुई। इस बैठक का उद्देश्य क्षेत्रीय संकट को नियंत्रित करना और आवश्यक सैन्य एवं कूटनीतिक कदमों पर फैसला लेना था। अमेरिकी प्रशासन की ओर से यह संकेत भी दिया गया कि वे ईरान के खिलाफ और सख्त कदम उठा सकते हैं।
जंग का मानवीय पक्ष: जान-माल की भारी हानि
इस भीषण युद्ध में मानवीय संकट भी गहरा रहा है। AP की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायली हमलों में अब तक ईरान में लगभग 950 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि 3450 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इसके अलावा, इस संघर्ष के कारण लाखों लोग विस्थापित हो सकते हैं, जो क्षेत्रीय और वैश्विक शरणार्थी संकट को बढ़ावा देगा।
खाड़ी देशों में बढ़ता तनाव
ईरान पर अमेरिका के हमले के बाद खाड़ी देशों में भी सुरक्षा की चिंता बढ़ गई है। सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और कतर ने अपने यहां सुरक्षा अलर्ट जारी कर दिया है। खासकर सऊदी अरब और कुवैत ने अमेरिकी सैन्य ठिकानों की सुरक्षा बढ़ा दी है। बहरीन ने लोगों को मुख्य सड़कों से दूर रहने और सरकारी कर्मचारियों को घर से काम करने के निर्देश दिए हैं। इस प्रकार, मध्य पूर्व में सुरक्षा व्यवस्था और भी कड़ी कर दी गई है।
अमेरिका की वैश्विक सुरक्षा चेतावनी
ईरान-इजरायल के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिका ने अपने नागरिकों के लिए वैश्विक सुरक्षा अलर्ट भी जारी किया है। विदेश मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि विभिन्न देशों में अमेरिकी नागरिकों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो सकते हैं। यात्रा करने वालों को सतर्क रहने और ट्रैवल एडवाइजरी पढ़कर ही यात्रा करने की सलाह दी गई है। मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव की वजह से कई जगह यात्रा में बाधाएं आ सकती हैं।
इजरायली प्रधानमंत्री का कड़ा रुख
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान की मिसाइलों के जवाब में स्पष्ट कहा है कि वे ईरान को लेकर बिल्कुल भी नरम नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि ईरान अब उनके लिए लेबनान जैसा खतरा बन चुका है। नेतन्याहू ने जेरूसलम के वेस्टर्न वॉल पर पूजा-अर्चना की और ट्रंप के लिए दुआ मांगी। उनका साफ संदेश था कि यदि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को फिर से शुरू करने की कोशिश करता है, तो इजरायल तुरंत हमला करेगा।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अमेरिका के ईरान पर हमलों को ‘अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा’ बताया है। रूस, चीन और पाकिस्तान ने मिलकर इजरायल और ईरान के बीच तत्काल युद्धविराम की मांग की है। UNSC की इस आपात बैठक में IAEA के महानिदेशक राफेल ग्रोसी ने ईरान के परमाणु ठिकानों की स्थिति से सभी देशों को अवगत कराया। प्रस्ताव पर वोटिंग की प्रक्रिया अगले सप्ताह हो सकती है, लेकिन अमेरिका इसके खिलाफ वीटो कर सकता है।
इस प्रकार, ईरान-इजरायल युद्ध में अमेरिका की एंट्री ने संकट को और गहरा दिया है। वैश्विक स्तर पर राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा स्थिति अस्थिर हो गई है। संयुक्त राष्ट्र और विश्व समुदाय इस तनावपूर्ण स्थिति को शांत करने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन फिलहाल मध्य पूर्व में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और आगे की घटनाओं पर पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई है।