निर्देशक - ऋषभ शेट्टी
कलाकार - ऋषभ शेट्टी, जयराम, रुक्मिणी वसंत, गुलशन देवैया, प्रमोद शेट्टी, राकेश पूजारी, प्रकाश थुमिनाद, दीपक राय पनाजे, हरिप्रशांत एम जी, शनील गौतम और नवीन बॉन्डेल
अवधि - 168 मिनट
एक्टर एंड डायरेक्टर ऋषभ शेट्टी की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘कांतारा चैप्टर 1’ आखिरकार रिलीज़ हो गई है, और दर्शकों को फिर से जंगल, दैव औरपौराणिक रहस्य की दुनिया में खींच लाती है। फिल्म की शुरुआत शानदार है — वही रहस्य, वही आस्था, और वही दैवीय ऊर्जा जो पहले भाग में थी।कहानी उस बच्चे के सवाल से शुरू होती है, जिसे एक पुरानी दंतकथा सुनाई जाती है। कदंब साम्राज्य बनाम कांतारा गांव का संघर्ष, और बीच मेंऋषभ शेट्टी का किरदार ‘बेर्मे’, जो दैव का रक्षक है — यह सब कहानी को एक मजबूत आधार देता है।
फिल्म का विज़ुअल अपील और टेक्निकल प्रजेंटेशन पहले से भी बेहतर है। जंगलों की लोकेशन, भव्य वॉर सीन और दमदार बैकग्राउंड स्कोर फिल्मको सिनेमाई रूप से समृद्ध बनाते हैं। खासकर क्लाइमैक्स में जब ऋषभ शेट्टी चावुंडी देवी के रूप में प्रकट होते हैं, वो सीन वाकई रौंगटे खड़े कर देताहै। सिंगल-टेक एक्शन सीन और रुद्र गुलिगा के अवतार में ऋषभ की परफॉर्मेंस इस फिल्म की जान है।
हालांकि फिल्म का मिड-सेक्शन थोड़ा खिंचता हुआ महसूस होता है। ज्यादा बजट और बड़े स्केल के चक्कर में मेकर्स ने फिल्म को पीरियड वॉर ड्रामाबना दिया है, जिससे मूल ‘भक्ति भाव’ और फोकस कहीं-कहीं भटकते हैं। कई जगहों पर कॉमिक सीन जबरदस्ती डाले गए हैं, जो टोन को डिस्टर्ब करतेहैं। जबकि पहले भाग में सब कुछ बहुत सधा हुआ और भावनात्मक था, इस बार फर्स्ट हाफ में हल्कापन कुछ ज्यादा ही है।
ऋषभ शेट्टी का अभिनय, निर्देशन और स्क्रीन प्रेज़ेंस फिर भी फिल्म को संभाले रखता है। उनके साथ रुक्मिणी वसंत और गुलशन देवैया ने भी अच्छाकाम किया है। गुलशन की मौजूदगी अभिनय के लिहाज से एक बैलेंस देती है, जबकि रुक्मिणी ने भी एक्शन और इमोशन दोनों में खुद को साबितकिया है। फिल्म का संपादन और सिनेमैटोग्राफी भी काबिल-ए-तारीफ है, खासकर जब कैमरा जंगल की गहराइयों में उतरता है।
कुल मिलाकर, ‘कांतारा चैप्टर 1’ एक विजुअली शानदार लेकिन नैरेटिवली थोड़ी डगमगाती हुई फिल्म है। अगर आप कांतारा यूनिवर्स या ऋषभ शेट्टीके फैन हैं, तो आपको यह अध्याय जरूर देखना चाहिए — क्योंकि आखिरकार, ऋषभ फिर से क्लाइमैक्स में अपनी एक्टिंग से बाज़ी मार ले जाते हैं।हां, अगर आप कमर्शियल एलिमेंट्स की बजाय उस गूढ़ आध्यात्मिकता की उम्मीद कर रहे हैं, जो पहली फिल्म में थी — तो थोड़ी निराशा हो सकतीहै। फिर भी, यह अध्याय अगले पार्ट की नींव मज़बूत करता है।