हरियाणा की राजनीति में पिछले कुछ दिन काफी हलचल भरे रहे हैं। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस द्वारा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव न केवल खारिज हो गया, बल्कि इसने सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जुबानी जंग को और तेज कर दिया है। इस पूरे घटनाक्रम पर हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने कांग्रेस की कार्यशैली और नेतृत्व पर तीखे सवाल खड़े किए हैं।
"हताशा का प्रतीक है कांग्रेस का वॉकआउट" : महिपाल ढांडा
शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने अविश्वास प्रस्ताव के गिर जाने के बाद कांग्रेस पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को जनता के सामने यह स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर इस प्रस्ताव को लाने का ठोस आधार क्या था। ढांडा ने तंज कसते हुए कहा कि वोटिंग से ठीक पहले सदन छोड़कर चले जाना कांग्रेस की राजनीतिक हताशा को दर्शाता है।
उन्होंने आगे कहा, "कांग्रेस आज बेतुके मुद्दों पर राजनीति कर रही है। जब पार्टी का नेतृत्व ही भ्रम (कन्फ्यूजन) की स्थिति में हो, तो कार्यकर्ताओं से सही दिशा की उम्मीद नहीं की जा सकती। कांग्रेस में एक नेता की जिद पूरे संगठन को गर्त में ले जा रही है।"
राहुल गांधी और संवैधानिक मूल्यों पर टिप्पणी
महिपाल ढांडा ने कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व, विशेषकर राहुल गांधी को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अक्सर 'संविधान खतरे में है' का राग अलापती है, जबकि असलियत यह है कि संविधान सुरक्षित है, लेकिन उनकी सोच देश के लिए खतरनाक है। उन्होंने पुरानी घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि सरेआम ऑर्डिनेंस फाड़ने जैसी हरकतें करने वाली पार्टी को लोकतंत्र की दुहाई देना शोभा नहीं देता।
संगठनात्मक बदलावों और प्रदेश अध्यक्ष के सवाल पर उन्होंने इसे पूरी तरह संगठन का आंतरिक निर्णय बताया। वहीं, अभिभावकों और छात्रों की चिंता, यानी सर्दी और बढ़ते प्रदूषण के कारण स्कूलों की छुट्टियों पर उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार स्थिति पर नजर बनाए हुए है और जरूरत पड़ने पर सही समय पर उचित फैसला लिया जाएगा।
अविश्वास प्रस्ताव का परिणाम और विपक्ष का पक्ष
शुक्रवार, 19 दिसंबर को विधानसभा में करीब पांच घंटे तक अविश्वास प्रस्ताव पर तीखी बहस चली। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली सरकार ने सदन में अपना बहुमत साबित किया और प्रस्ताव ध्वनि मत से खारिज कर दिया गया।
हालांकि, विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बहस के दौरान हुड्डा ने आरोप लगाया कि:
-
प्रदेश में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है।
-
बेरोजगारी का ग्राफ हरियाणा में देश के अन्य राज्यों के मुकाबले चिंताजनक स्तर पर है।
-
किसान खाद, एमएसपी और सिंचाई जैसे मुद्दों को लेकर सड़कों पर हैं, लेकिन सरकार के पास कोई समाधान नहीं है।
हुड्डा ने कहा कि जनता इस सरकार की नीतियों से तंग आ चुकी है और सदन में मुख्यमंत्री इन बुनियादी सवालों के संतोषजनक जवाब देने में नाकाम रहे हैं।
निष्कर्ष: सियासी रस्साकशी जारी
हरियाणा विधानसभा का यह सत्र स्पष्ट करता है कि आने वाले समय में प्रदेश की राजनीति और गरमाने वाली है। जहाँ बीजेपी सरकार अपनी उपलब्धियों और बहुमत के दम पर आत्मविश्वास से भरी नजर आ रही है, वहीं कांग्रेस जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर हमलावर है। अविश्वास प्रस्ताव भले ही गिर गया हो, लेकिन इसने बेरोजगारी, किसान और कानून-व्यवस्था जैसे विषयों को केंद्र में ला दिया है, जो भविष्य के चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।