बांग्लादेश राष्ट्रवादी पार्टी (BNP) के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान गुरुवार (25 दिसंबर 2025) को 17 साल के लंबे अंतराल के बाद ब्रिटेन से बांग्लादेश की राजधानी ढाका पहुंचे। उनकी यह वापसी ऐसे समय में हुई है, जब कट्टरपंथी नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद से देश में हिंसा, अशांति और राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। इस घटना ने पूरे बांग्लादेश को झकझोर कर रख दिया है और कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
ढाका पहुंचने के बाद तारिक रहमान ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस से मुलाकात की और उनकी सुरक्षित वापसी के लिए किए गए सुरक्षा इंतजामों के प्रति आभार जताया। यह मुलाकात इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि मौजूदा राजनीतिक संकट के बीच यूनुस सरकार की भूमिका पर देश-विदेश की नजरें टिकी हुई हैं।
“एकजुट होकर राष्ट्र का निर्माण करें” : तारिक रहमान
ढाका में आयोजित एक बड़ी रैली को संबोधित करते हुए तारिक रहमान ने लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय एकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के लोग अपने बोलने के अधिकार और अपने लोकतांत्रिक ढांचे को फिर से हासिल करना चाहते हैं। अपने भाषण में उन्होंने देश के इतिहास के अहम पड़ावों को याद किया, जिनमें 1971 का मुक्ति संग्राम, 1975 में सैनिकों और जनता का विद्रोह और 1990 के दशक का जन आंदोलन शामिल है।
तारिक रहमान ने कहा कि इन सभी संघर्षों से बांग्लादेश ने यह सीखा है कि जब-जब देश संकट में पड़ा, जनता ने एकजुट होकर उसका सामना किया। उन्होंने जोर देकर कहा, “अब समय आ गया है कि हम सभी मतभेदों को भुलाकर एकजुट हों और उस बांग्लादेश का निर्माण करें, जो शांति, लोकतंत्र और समान अधिकारों पर आधारित हो।” उन्होंने अपने पूरे भाषण में बार-बार यह स्पष्ट किया कि उनकी राजनीति का लक्ष्य सत्ता नहीं, बल्कि देश में स्थायी शांति और स्थिरता है।
उस्मान हादी की हत्या पर क्या बोले तारिक रहमान?
शरीफ उस्मान हादी की हत्या का जिक्र करते हुए तारिक रहमान ने देश में बढ़ती हिंसा और असहिष्णुता पर गहरी चिंता जताई। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, “बांग्लादेश ऐसा देश है जहां मुसलमान, हिंदू, बौद्ध और ईसाई सभी समान रूप से रहते हैं। हम एक सुरक्षित बांग्लादेश का निर्माण करना चाहते हैं, जहां हर नागरिक बिना डर के घर से निकले और सुरक्षित वापस लौटे।”
उन्होंने कहा कि उस्मान हादी जैसे लोग देश के आर्थिक अधिकारों और आम जनता की आवाज को मजबूत करना चाहते थे। तारिक रहमान ने आगे कहा, “1971 और 2024 में शहीद हुए लोगों के खून का बदला किसी हिंसा से नहीं, बल्कि उस बांग्लादेश के निर्माण से लिया जाना चाहिए, जिसकी उन्होंने कल्पना की थी।” उनके इस बयान को सांप्रदायिक सौहार्द और लोकतांत्रिक मूल्यों के समर्थन के तौर पर देखा जा रहा है।
BNP का प्रभाव बढ़ाने की रणनीति
तारिक रहमान की वापसी ऐसे समय पर हुई है, जब बांग्लादेश की राजनीति तेजी से बदल रही है। BNP की पूर्व सहयोगी जमात-ए-इस्लामी और उसके अन्य इस्लामी सहयोगी दल अब राजनीतिक रूप से ज्यादा मुखर नजर आ रहे हैं। अंतरिम सरकार द्वारा कड़े आतंकवाद-रोधी कानून के तहत एक कार्यकारी आदेश के जरिए अवामी लीग को भंग किए जाने के बाद राजनीतिक परिदृश्य और भी बिखर गया है।
इस बदले हुए हालात में जमात-ए-इस्लामी देश में अपने प्रभाव का विस्तार करने की कोशिश कर रही है। ऐसे में तारिक रहमान की वापसी को BNP के लिए एक बड़ा राजनीतिक अवसर माना जा रहा है। माना जा रहा है कि वे पार्टी संगठन को फिर से मजबूत करने, कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरने और खुद को एक जिम्मेदार, उदार और लोकतांत्रिक नेता के रूप में पेश करने की रणनीति पर काम करेंगे।