केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा संसद में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत हुई गिरफ्तारियों के आंकड़े जारी किए गए हैं, जो चौंकाने वाले हैं। आंकड़ों के अनुसार, 2023 में पूरे देश में UAPA के तहत कुल 2,914 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से सबसे अधिक गिरफ्तारियां जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश में हुई हैं। हालांकि, इन मामलों में सजा दिलवाने की दर (Conviction Rate) राष्ट्रीय स्तर पर बहुत कम, और जम्मू-कश्मीर में एक प्रतिशत से भी कम है।
जम्मू-कश्मीर और यूपी शीर्ष पर
पलक्कड़ से कांग्रेस सांसद शफी परमबिल के सवाल के जवाब में, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने ये आंकड़े प्रस्तुत किए:
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जम्मू-कश्मीर (J&K): 2023 में UAPA के तहत कुल 1,206 गिरफ्तारियां दर्ज की गईं, जो देश की कुल गिरफ्तारियों का लगभग 42% है। यह केंद्र शासित प्रदेश UAPA गिरफ्तारियों में देश में सबसे आगे है।
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सजा दर (J&K): गिरफ्तारियों की इतनी ज्यादा संख्या के बावजूद, J&K में सिर्फ 10 सज़ाएं दर्ज की गईं, जिससे सजा की दर मात्र 0.8% रही, जो देश में सबसे कम में से एक है।
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उत्तर प्रदेश (UP): J&K के बाद, 2023 में 1,122 UAPA गिरफ्तारियों के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर है।
इसके उलट, J&K में UAPA अरेस्ट में हल्की गिरावट देखी गई, जहां 2022 में 1,238 से घटकर 2023 में 1,206 गिरफ्तारियां हुईं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी 2023 में 22 UAPA अरेस्ट रिकॉर्ड किए गए, जो पिछले साल से पांच कम हैं।
कम सजा दर पर चिंता
पूरे देश में UAPA केस में 2023 में केवल 4% कन्विक्शन रेट देखा गया। इसका मतलब है कि गिरफ्तार किए गए अधिकांश लोगों को अंततः दोषी नहीं ठहराया जा सका।
गृह मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, 2023 में 28 राज्यों में UAPA के तहत 1,686 लोगों को अरेस्ट किया गया और सात केंद्र शासित प्रदेशों में 1,228 लोगों को अरेस्ट किया गया। यह आंकड़ा दर्शाता है कि केंद्र शासित प्रदेशों में UAPA का इस्तेमाल राज्यों की तुलना में अधिक हो रहा है।
क्या होता है UAPA?
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) को 1967 में लाया गया था।
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2019 संशोधन: 2019 में हुए संशोधन के बाद इस कानून को यह ताकत मिल गई कि किसी व्यक्ति को भी जांच के आधार पर आतंकवादी घोषित किया जा सकता है।
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शक्ति: इस कानून के तहत किसी व्यक्ति पर शक होने मात्र से ही उसे आतंकवादी घोषित किया जा सकता है।
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अपील प्रक्रिया: आतंकवादी का टैग हटवाने के लिए उसे कोर्ट की बजाय सरकार की बनाई गई रिव्यू कमेटी के पास जाना होता है, हालांकि बाद में कोर्ट में अपील की जा सकती है।
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उपयोग: इस कानून का इस्तेमाल अपराधियों के अलावा एक्टिविस्ट्स और आंदोलनकारियों पर भी हो सकता है।
गिरफ्तारियों की अधिक संख्या और सजा की दर में भारी अंतर इस कानून के दुरुपयोग और न्यायिक प्रक्रिया में देरी को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।