देशभर में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा बाल विवाह को रोकने और समाज में जागरूकता लाने के लिए हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। हालांकि, ये प्रयास मध्य प्रदेश में व्यर्थ साबित होते दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि यहां बाल विवाह के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। बाल विवाह के ताजा सरकारी आंकड़े सामने आए हैं, जिसने हर किसी को चौंका दिया है। पूर्व मंत्री एवं राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह द्वारा विधानसभा में उठाए गए प्रश्न के जवाब में ये चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं।
हर साल बढ़ रहे बाल विवाह के मामले
मध्य प्रदेश में लगातार बढ़ रहे बाल विवाह के मामलों को लेकर पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के बाद से ही हर सरकार का प्रयास रहा है कि सामाजिक कुरीतियों को समाप्त किया जाए, जिसमें बाल विवाह एक बड़ा मुद्दा रहा है, लेकिन प्रदेश में स्थिति चिंताजनक होती जा रही है।
जयवर्धन सिंह ने विधानसभा में 2020 से 2025 तक के बाल विवाह के मामलों का विवरण मांगा था। सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में हर साल बाल विवाह के मामलों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो इस प्रकार है:
| वर्ष |
बाल विवाह के दर्ज मामले |
| 2020 |
366 |
| 2021 |
436 |
| 2022 |
519 |
| 2023 |
528 |
| 2024 |
529 |
| 2025 |
538 |
कांग्रेस ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
इन बढ़ते आंकड़ों का हवाला देते हुए जयवर्धन सिंह ने बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि यह बढ़ती संख्या इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि प्रदेश में सामाजिक विकास और सामाजिक उत्थान की दिशा में भाजपा सरकार कार्य नहीं कर रही है।
पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार सामाजिक सुधार, शिक्षा और बच्चों के भविष्य पर ध्यान देने में पूर्णतः असफल रही है। उन्होंने कहा:
"बच्चों को अच्छी शिक्षा, डिग्री और रोजगार का अवसर देना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन बीजेपी न तो यह कर पा रही है और न ही सामाजिक बुराइयों को रोकने में सफल हो रही है।"
बढ़ते बाल विवाह के मामले इस ओर इशारा करते हैं कि बालिकाओं की सुरक्षा, शिक्षा और उनके कानूनी अधिकारों को सुनिश्चित करने में सरकारी प्रयास अपर्याप्त साबित हो रहे हैं, जिसके कारण सामाजिक कुरीति लगातार पैर पसार रही है।
सरकार ने क्या दिया जवाब?
महिला बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सरकार बाल विवाह को लेकर पूरी तरह संवेदनशील है। उन्होंने दावा किया कि सरकार द्वारा लगातार जागरूकता अभियान, प्रचार-प्रसार और निगरानी के माध्यम से ऐसी घटनाओं को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, विपक्ष का तर्क है कि आंकड़ों में लगातार बढ़ोतरी सरकारी प्रयासों की विफलता को दर्शाती है।