महाराष्ट्र में अगले महीने होने वाले बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। खास तौर पर शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बीच संभावित गठबंधन को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर जारी है। सोमवार को दोनों दलों के बीच गठबंधन को अंतिम रूप देने के लिए गहन बातचीत हुई, लेकिन दिन के अंत तक किसी औपचारिक घोषणा पर सहमति नहीं बन सकी।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे की मनसे के नेताओं का कहना है कि दोनों पक्षों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है और अधिकांश मुद्दों पर चर्चा पूरी कर ली गई है। इसके बावजूद गठबंधन को लेकर अब तक आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है। इससे साफ है कि पर्दे के पीछे सहमति बनाने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन कुछ अहम अड़चनें अभी भी बाकी हैं।
संजय राउत ने की राज ठाकरे से मुलाकात
सोमवार को शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय राउत ने मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे से मुलाकात की। इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि संजय राउत उद्धव ठाकरे के करीबी और रणनीतिकार माने जाते हैं। वहीं, मनसे की ओर से बाला नंदगांवकर भी उद्धव ठाकरे के आवास ‘मातोश्री’ पहुंचे। बाला नंदगांवकर राज ठाकरे के भरोसेमंद सहयोगियों में गिने जाते हैं। इन मुलाकातों से यह संकेत जरूर मिला कि दोनों दल गठबंधन को लेकर गंभीर हैं और अंतिम निर्णय से पहले हर पहलू पर मंथन करना चाहते हैं।
सीट बंटवारे पर फंसा पेंच
सूत्रों के अनुसार, गठबंधन की राह में सबसे बड़ी अड़चन सीट बंटवारे को लेकर है। दादर, सेवरी, विक्रोली और भांडुप जैसे इलाके ऐसे हैं, जहां शिवसेना (यूबीटी) और मनसे—दोनों का मजबूत जनाधार माना जाता है। इन क्षेत्रों में कौन-सा दल किस सीट पर चुनाव लड़ेगा, इसे लेकर अभी तक कोई ठोस समझौता नहीं हो पाया है। दोनों ही दल इन इलाकों को अपनी पारंपरिक ताकत मानते हैं, ऐसे में कोई भी पार्टी पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रही।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि इन विवादित सीटों पर सहमति बन जाती है, तो गठबंधन का रास्ता काफी हद तक साफ हो सकता है। हालांकि, यह भी माना जा रहा है कि आखिरी वक्त तक बातचीत चल सकती है और नामांकन की अंतिम तारीख के आसपास कोई बड़ा फैसला सामने आ सकता है।
बीएमसी चुनाव का राजनीतिक महत्व
बीएमसी चुनाव महाराष्ट्र की राजनीति में हमेशा से अहम रहे हैं। देश की सबसे अमीर नगर निगम मानी जाने वाली बीएमसी पर लंबे समय तक शिवसेना का वर्चस्व रहा है। ऐसे में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) के लिए यह चुनाव साख की लड़ाई जैसा है। वहीं, मनसे भी मुंबई में अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन वापस पाने की कोशिश में जुटी है। अगर दोनों दल साथ आते हैं, तो यह गठबंधन मुंबई की राजनीति में बड़ा उलटफेर कर सकता है।
15 जनवरी को होगा मतदान
गौरतलब है कि बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया मंगलवार से शुरू होकर 30 दिसंबर तक चलेगी। मुंबई समेत राज्य की 29 महानगर पालिकाओं के लिए 15 जनवरी को मतदान होगा, जबकि मतगणना अगले दिन की जाएगी। ऐसे में समय कम है और राजनीतिक दलों पर रणनीति को जल्द अंतिम रूप देने का दबाव बढ़ता जा रहा है।
कुल मिलाकर, शिवसेना (यूबीटी) और मनसे के बीच गठबंधन को लेकर तस्वीर अभी पूरी तरह साफ नहीं है। बातचीत जारी है, लेकिन अंतिम फैसला कब होगा, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।