बांग्लादेश में महीनों से जारी अस्थिरता और सत्ता परिवर्तन के बाद, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पहली बार अंतरिम सरकार और उसके प्रमुख डॉ. मोहम्मद यूनुस के खिलाफ मोर्चा खोला है। भारत में शरण ले रखी शेख हसीना ने एक हालिया साक्षात्कार में बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और भारत के साथ बिगड़ते द्विपक्षीय संबंधों पर अपनी बात रखी। उनके इन बयानों ने न केवल बांग्लादेश की राजनीति बल्कि दक्षिण एशिया के कूटनीतिक हलकों में भी नई बहस छेड़ दी है।
भारत-बांग्लादेश संबंधों पर चिंता
शेख हसीना ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच वर्तमान में जो तनावपूर्ण स्थिति बनी है, उसकी पूरी जिम्मेदारी मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की है। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा शासन लगातार भारत विरोधी बयानबाजी कर रहा है, जिससे दशकों पुराने दोस्ताना रिश्तों में दरार आ रही है। हसीना ने भारत को बांग्लादेश का "सबसे भरोसेमंद मित्र" करार देते हुए कहा कि भारत ने संकट के हर समय में बांग्लादेश का साथ दिया है, लेकिन वर्तमान सरकार इसे नजरअंदाज कर रही है।
कट्टरपंथ और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा
पूर्व प्रधानमंत्री ने एक गंभीर आरोप यह भी लगाया कि अंतरिम सरकार कट्टरपंथियों को देश की विदेश नीति और आंतरिक मामलों में दखल देने की खुली छूट दे रही है। उन्होंने हिंदू और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि मोहम्मद यूनुस सरकार उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में पूरी तरह विफल रही है। हसीना के अनुसार, कट्टरपंथी ताकतों के बढ़ते प्रभाव के कारण देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ रहा है, जिसका असर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्लादेश की छवि पर पड़ रहा है।
न्यायिक फैसलों को बताया 'राजनीतिक साजिश'
अपने खिलाफ चल रहे मुकदमों और हालिया न्यायिक आदेशों पर प्रतिक्रिया देते हुए शेख हसीना ने इसे "राजनीतिक बदले की कार्रवाई" बताया। उन्होंने दावा किया कि उन्हें अपना पक्ष रखने या बचाव करने का कोई उचित अवसर नहीं दिया गया। उनके अनुसार, यह पूरी प्रक्रिया अवामी लीग के नेतृत्व को खत्म करने और उन्हें जनता की नजरों में गिराने की एक सुनियोजित साजिश है। उन्होंने जोर देकर कहा कि निष्पक्ष जांच के बिना दिए जा रहे ये फैसले न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ हैं।
आगामी चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल
बांग्लादेश में लोकतंत्र की बहाली और आगामी चुनावों पर चर्चा करते हुए हसीना ने एक बड़ी चेतावनी दी। उन्होंने दो टूक कहा कि अवामी लीग के बिना देश में कोई भी चुनाव न तो स्वतंत्र हो सकता है और न ही निष्पक्ष। उन्होंने तर्क दिया कि अवामी लीग देश की सबसे बड़ी और ऐतिहासिक पार्टी है, और यदि उसे चुनाव से बाहर रखा गया या प्रतिबंधित किया गया, तो करोड़ों मतदाता अपने मताधिकार से वंचित रह जाएंगे। हसीना के अनुसार, ऐसी स्थिति में होने वाले चुनाव केवल दिखावा होंगे और उससे निकलने वाली सरकार को लोकतांत्रिक वैधता हासिल नहीं होगी।