उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान बुधवार को एक अत्यंत भावुक और तनावपूर्ण दृश्य देखने को मिला। समाजवादी पार्टी की विधायक विजमा यादव ने सदन में अपने पति, पूर्व विधायक जवाहर यादव की हत्या का मुद्दा उठाते हुए अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा पर गंभीर चिंता व्यक्त की। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस भी हुई और सदन का माहौल पूरी तरह से भावुक हो गया।
सदन में उठा न्याय और सुरक्षा का मुद्दा
विजमा यादव ने सदन की कार्यवाही के दौरान सभापति से अपनी व्यक्तिगत पीड़ा साझा करने की अनुमति मांगी। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके पति के हत्यारों को सरकार के संरक्षण में जेल से बाहर लाया गया है। सपा विधायक ने बेहद भावुक स्वर में कहा, "मेरे पति की हत्या करने वालों को न तो हाईकोर्ट ने जमानत दी थी और न ही सुप्रीम कोर्ट ने, लेकिन सरकार की पैरवी के कारण वे आज बाहर हैं। अब मुझे और मेरे बेटे की जान को खतरा है। अगर कल को हमारी हत्या हो जाती है, तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी?"
विजमा यादव ने विशेष रूप से कपिल करवरिया और उदयभान करवरिया की रिहाई का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने पैरोल और अच्छे आचरण के नाम पर उन्हें रियायतें दी हैं। उन्होंने न्याय की गुहार लगाते हुए कहा कि जब तक उन्हें इंसाफ नहीं मिलता, वे बार-बार अपनी आवाज उठाती रहेंगी।
स्पीकर और विधायक के बीच बहस
विजमा यादव की बातों पर हस्तक्षेप करते हुए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि चूंकि यह मामला अदालत के अधीन है, इसलिए सदन में इस पर विस्तृत चर्चा नहीं की जा सकती। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी को भी रिहा करने का अधिकार कोर्ट के पास होता है, सरकार के पास नहीं।
हालांकि, विजमा यादव ने पलटवार करते हुए कहा कि यह कोर्ट का नहीं, बल्कि सरकार का फैसला था। उन्होंने बार-बार सुरक्षा की मांग दोहराई, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें आश्वस्त किया कि सरकार उनकी सुरक्षा की चिंता करेगी और उन्हें कुछ नहीं होने दिया जाएगा।
विपक्ष का समर्थन और सुरक्षा का आश्वासन
इस मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे भी विजमा यादव के समर्थन में खड़े हुए। उन्होंने स्पीकर से मांग की कि विधायक की चिंताओं को गंभीरता से लिया जाए और उन्हें तत्काल अतिरिक्त सुरक्षा मुहैया कराई जाए। सदन में बढ़ते दबाव और विधायक की भावुकता को देखते हुए स्पीकर ने सहमति जताई कि सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है।
क्या है पूरा मामला?
यह विवाद दशकों पुराने जवाहर यादव हत्याकांड से जुड़ा है। समाजवादी पार्टी के नेता जवाहर यादव की हत्या का आरोप भाजपा के पूर्व विधायक उदयभान करवरिया और उनके भाइयों पर लगा था। साल 2019 में अदालत ने इन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
विवाद तब शुरू हुआ जब जुलाई 2024 में उत्तर प्रदेश सरकार ने 'अच्छे आचरण' और जेल में बिताई गई लंबी अवधि के आधार पर उदयभान करवरिया की बाकी की सजा माफ कर दी और वे जेल से बाहर आ गए। विजमा यादव इसी फैसले का विरोध कर रही हैं और उनका मानना है कि मुख्य आरोपियों के बाहर आने से उनके परिवार की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है।