उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र का दूसरा दिन हंगामेदार रहा। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखे वार-पलटवार का सिलसिला शुरू हो गया। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के कड़े बयानों से लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) द्वारा बजट और स्वास्थ्य मुद्दों पर घेराबंदी तक, सदन में सियासी पारा चढ़ा रहा।
"अस्पताल थे तबेले, माफियाओं का था राज" : ब्रजेश पाठक
सदन में चर्चा के दौरान उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने समाजवादी पार्टी पर सीधा हमला बोला। उन्होंने पिछली सरकारों के कार्यकाल पर सवाल उठाते हुए कहा कि साल 2017 से पहले उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की स्थिति बेहद दयनीय थी। पाठक ने आरोप लगाया, "सपा के शासनकाल में अस्पतालों को 'तबेला' बना दिया गया था। वहाँ स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं था और उन पर माफियाओं का कब्जा रहता था।" ब्रजेश पाठक ने दावा किया कि भाजपा सरकार ने माफिया राज को खत्म कर अस्पतालों का कायाकल्प किया है और आज प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पहले से कहीं अधिक पारदर्शी और मजबूत हुई है।
अनुपूरक बजट पर कमल अख्तर का प्रहार
वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए अनुपूरक बजट (Supplementary Budget) पर सपा विधायक कमल अख्तर ने सरकार को आंकड़ों के जाल में घेरा। उन्होंने सरकार की कार्यक्षमता पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब मुख्य बजट का बड़ा हिस्सा अभी तक खर्च ही नहीं हुआ, तो नए बजट की क्या आवश्यकता है?
कमल अख्तर ने तर्क दिया, "सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक पिछले बजट का केवल 24% ही खर्च किया गया है। सरकार पहले बड़े-बड़े बजट पेश करती है और फिर उन्हें खर्च न करके जनता को गुमराह करती है।" उन्होंने आरोप लगाया कि बजट का सही समय पर आवंटन और खर्च न होने से विकास कार्य रुक रहे हैं और चल रही योजनाएं प्रभावित हो रही हैं।
कोडीन कफ सिरप पर मचा बवाल
शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन का सबसे बड़ा मुद्दा 'कोडीन कफ सिरप' रहा। समाजवादी पार्टी के विधायक इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग को लेकर अड़ गए और सदन में नारेबाजी शुरू कर दी। विपक्ष का आरोप है कि कोडीन कफ सिरप का अवैध इस्तेमाल और इसके दुष्प्रभाव एक गंभीर समस्या बन चुके हैं, जिस पर सरकार को जवाब देना चाहिए।
विपक्ष के हंगामे और प्रदर्शन के बीच वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने सरकार का पक्ष रखते हुए इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, "कोडीन कफ सिरप से उत्तर प्रदेश में एक भी मौत नहीं हुई है।" सरकार की ओर से यह संदेश देने की कोशिश की गई कि विपक्ष इस मुद्दे को अनावश्यक रूप से तूल दे रहा है।
निष्कर्ष: हंगामे के बीच विकास की बहस
विधानसभा सत्र का दूसरा दिन यह स्पष्ट कर गया कि विपक्ष इस बार सरकार को घेरने के लिए पूरी तरह तैयार है, खासकर बजट के क्रियान्वयन और कानून-व्यवस्था के मुद्दों पर। वहीं, सत्ता पक्ष भी आक्रामक रुख अपनाते हुए पिछली सरकारों की नाकामियों को याद दिलाकर पलटवार कर रहा है। कोडीन सिरप जैसे संवेदनशील मुद्दे पर सदन की कार्यवाही में हो रहा व्यवधान यह दर्शाता है कि आने वाले दिनों में सत्र और भी अधिक हंगामेदार हो सकता है।
जनता की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या इस शोर-शराबे के बीच जनहित से जुड़े असली मुद्दों पर कोई सार्थक चर्चा हो पाएगी या सत्र केवल राजनीतिक बयानबाजी की भेंट चढ़ जाएगा।