मुंबई, 13 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। गाजा सिटी में रविवार को हमास और डोगमूश कबीले के बीच हुई झड़प में 64 लोग मारे गए। इसमें 52 डोगमूश और 12 हमास के लड़ाके शामिल हैं। हमास के अनुसार उनके सीनियर अधिकारी बासेम नैम का बेटा भी इस हिंसा में मारा गया। झड़प के दौरान एक फिलिस्तीनी पत्रकार सालेह अलजफरावी (28) की गोली लगने से मौत हो गई। हिंसा तब भड़की जब हमास के लड़ाकों ने सब्रा इलाके में डोगमूश कबीले के ठिकानों पर हमला किया। डोगमूश कबीले का आरोप है कि हमास ने सीजफायर का फायदा उठाकर उन पर हमला किया। हमास ने चेतावनी दी है कि जो मिलिशिया सदस्य और अपराधी इस खूनखराबे में शामिल नहीं हैं, वे अगले रविवार तक आत्मसमर्पण कर सकते हैं, अन्यथा उन्हें कड़ी सजा दी जाएगी। डोगमूश कबीले की उत्पत्ति तुर्किश मानी जाती है और यह गाजा सिटी के साब्रा और तेल अल-हवा में बसा हुआ है। कबीले पर अलकायदा से जुड़े होने के आरोप भी लगते रहे हैं और इसने गाजा में सत्ता के लिए हमास के साथ कई बार संघर्ष किया है।
इतिहास में हमास ने 2008 में डोगमूश के ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें कई लोग मारे गए। 2024 में हमास ने सालेह डोगमूश की हत्या की थी, जिस पर आरोप था कि वह राहत सामग्री को कब्जे में लेकर महंगे दामों पर बेच रहा था। वर्तमान झड़प में एक पत्रकार की हत्या ने अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है। उनका शव प्रेस जैकेट पहने हुए एक ट्रक के पीछे पाया गया।
हमास के गृह मंत्रालय ने बताया कि डोगमूश गुट इजराइल से जुड़े सशस्त्र संगठन से जुड़ा है। सुरक्षा बलों ने इलाके को घेर लिया और आरोप लगाया कि इस गिरोह ने उन लोगों पर भी हमला किया जो दक्षिण गाजा से लौट रहे थे। अक्टूबर 2023 में युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक 270 से अधिक पत्रकार गाजा में मारे जा चुके हैं। इस हिंसा की पृष्ठभूमि इजराइल के साथ चल रहे समझौते के बीच की है। डोगमूश कबीले को अल डोगमूश मिलिशिया के नाम से भी जाना जाता है। कबीले के सदस्यों ने मीडिया से अपील की कि मुसलमानों का खून न बहाया जाए। वहीं, हमास ने दोपहर तक 20 इजराइली बंधकों को रेड क्रॉस के हवाले करने की योजना बनाई है, जो दक्षिण इजराइल ले जाए जाएंगे।