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संगम की रेती पर माघ मेले की शुरुआत, 48 वर्षों से भूख मिटा रही अनूठी महा रसोई

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Posted On:Tuesday, December 30, 2025

संगम की पावन रेती पर माघ मेले की शुरुआत होने जा रही है। हर साल इस धार्मिक मेले में देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने और पुण्य लाभ अर्जित करने के लिए पहुंचते हैं। माघ मेले की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां आने वाला कोई भी श्रद्धालु भूखा नहीं रहता। मां गंगा के आशीर्वाद से संगम तट पर कई संस्थाओं द्वारा अन्नक्षेत्र और भंडारों का आयोजन किया जाता है, जहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं को निशुल्क प्रसाद और भोजन कराया जाता है।

इन्हीं अन्नक्षेत्रों में एक ऐसा अनूठा भंडारा भी है, जो पिछले 48 वर्षों से लगातार माघ मेले में अपनी सेवाएं दे रहा है। यह महा रसोई अपनी भव्यता और व्यवस्थाओं के कारण श्रद्धालुओं के बीच विशेष पहचान रखती है। ओम नमः शिवाय संस्था द्वारा संचालित यह अन्नक्षेत्र न केवल माघ मेले बल्कि कुंभ मेले में भी श्रद्धालुओं की भूख मिटाने का काम करता रहा है। इस महा रसोई में विशाल कराहों में मशीनों की मदद से प्रसाद तैयार किया जाता है, जिसे देखकर श्रद्धालु भी आश्चर्यचकित रह जाते हैं।

इस महा रसोई की सबसे खास बात यह है कि यहां भंडारा पूरे माघ मेले के दौरान 24 घंटे लगातार चलता रहता है। दिन हो या रात, सैकड़ों सेवादार पूरे सेवा भाव से श्रद्धालुओं की सेवा में लगे रहते हैं। संगम की रेती पर जलती भट्टियों और बड़े-बड़े कराहों में बनता प्रसाद एक अलग ही दृश्य प्रस्तुत करता है, जो आस्था और सेवा का अनूठा संगम बन जाता है।

ओम नमः शिवाय संस्था द्वारा संचालित इस अन्नक्षेत्र में बड़े-बड़े महा कराहे क्रेन की मदद से भट्टियों पर चढ़ाए जाते हैं। ये विशेष कराहे पंजाब के जालंधर से मंगाए गए हैं। एक कराहे में एक साथ लगभग चालीस क्विंटल सब्जियां और दालें तैयार की जाती हैं। वहीं, इन्हीं महा कराहों में एक साथ करीब पांच हजार पूड़ियां भी निकाली जाती हैं। इतनी बड़ी मात्रा में भोजन तैयार करना किसी चमत्कार से कम नहीं लगता, लेकिन सैकड़ों सेवादारों की मेहनत और समर्पण से यह व्यवस्था सहज रूप से चलती रहती है।

भोजन की तैयारी में आधुनिक मशीनों का भी सहारा लिया जाता है। पूड़ियां और रोटियां बनाने के लिए विशेष मशीनें लगाई गई हैं, जिससे कम समय में अधिक मात्रा में भोजन तैयार किया जा सके। इस भंडारे में हर दिन हजारों लोगों के लिए भोजन तैयार होता है। श्रद्धालुओं को पंक्तियों में बैठाकर पूरे सम्मान और सेवा भाव के साथ भोजन कराया जाता है। यहां न कोई भेदभाव है और न ही कोई रोक-टोक, जो भी संगम तट पर आता है, वह इस अन्नक्षेत्र का प्रसाद ग्रहण कर सकता है।

इस बार माघ मेले में ओम नमः शिवाय गुरु जी की ओर से सेवा को और विस्तार दिया गया है। प्रसाद वितरण के लिए एंबुलेंस सेवा भी शुरू की गई है। इसके तहत पांच ई-रिक्शा लगाए गए हैं, जो मेले के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर श्रद्धालुओं तक प्रसाद पहुंचा रहे हैं। संस्था के अनुसार जल्द ही 10 और ई-रिक्शा एंबुलेंस सेवा में जोड़े जाएंगे, ताकि अधिक से अधिक लोगों तक भोजन पहुंचाया जा सके।

फिलहाल माघ मेले में ओम नमः शिवाय संस्था की ओर से सात अलग-अलग स्थानों पर इसी तरह के भंडारे चलाए जा रहे हैं। संगम की रेती पर सेवा, श्रद्धा और समर्पण का यह दृश्य माघ मेले को और भी विशेष बना देता है। यह अन्नक्षेत्र न सिर्फ लोगों की भूख मिटा रहा है, बल्कि मानवता और सेवा का संदेश भी दे रहा है, जो माघ मेले की आत्मा को जीवंत बनाए रखता है।


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