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चीन दुश्मन नंबर-1, रूस पर नरमी, भारत सबसे अहम साझेदार…US की सुरक्षा रणनीति में बड़ा बदलाव

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Posted On:Saturday, December 6, 2025

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दिल्ली यात्रा ने एशिया की राजनीति में हलचल मचा ही रखी थी कि इसी बीच वॉशिंगटन से एक ऐसा भू-राजनीतिक धमाका हुआ है, जिसने वैश्विक परिदृश्य को पूरी तरह गरमा दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार ने अपनी नई नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटेजी (NSS) जारी कर दी है। इस 33 पन्नों के दस्तावेज़ में अमेरिका ने चीन को अपना दुश्मन नंबर-1 घोषित किया है, जबकि भारत को अपना सबसे महत्वपूर्ण साझेदार बताया है।

यह दस्तावेज़ अमेरिकी विदेश नीति और वैश्विक रणनीति की दिशा स्पष्ट करता है। इस बार, इसका असर सीधा भारत, चीन, रूस और पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर पड़ने वाला है, जो अगले दशक की वैश्विक राजनीति की दिशा तय करेगा।

🇺🇸 अमेरिका की नई नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटेजी (NSS) के प्रमुख बिंदु

अमेरिका ने नवंबर 2025 में जारी अपनी National Security Strategy में कई बड़े और सीधे ऐलान किए हैं:

1. चीन घोषित हुआ 'दुश्मन नंबर-1'

नई स्ट्रेटेजी में चीन को अमेरिका की सबसे बड़ी चुनौती और मुख्य प्रतिद्वंदी (Pacing Challenger) बताया गया है।

  • दावा: अमेरिका का दावा है कि चीन आर्थिक, तकनीकी और सैन्य क्षेत्र में सबसे बड़ा खतरा है।

  • प्राथमिकता: इंडो-पैसिफिक में चीन के बढ़ते दबदबे को रोकना अब अमेरिकी विदेश नीति की फर्स्ट प्रायोरिटी है।

  • निष्कर्ष: यह स्पष्ट करता है कि अगला दशक US vs China पावर बैटल का होने वाला है।

2. भारत को बताया गया 'सबसे महत्वपूर्ण साझेदार'

यह NSS भारत के लिए सबसे बड़ी कूटनीतिक जीत साबित हुई है।

  • दर्जा: अमेरिकी रणनीति में भारत को 'इंडो-पैसिफिक और वैश्विक सुरक्षा में प्रमुख साझेदार (Key Partner in Indo-Pacific and Global Security)' कहा गया है।

  • रणनीति: इसका मतलब है कि अमेरिका भारत को चीन के खिलाफ मजबूत संतुलन के रूप में देख रहा है। रक्षा, टेक्नोलॉजी, सप्लाई चेन (Supply Chain), और QUAD जैसे बहुपक्षीय मंचों में भारत से गहरी साझेदारी बढ़ाई जाएगी।

  • प्रभाव: यह घोषणा पाकिस्तान के लिए चिंताजनक है, क्योंकि अब चीन-भारत-अमेरिका की त्रिकोणीय राजनीति में पाकिस्तान का रणनीतिक रोल तेजी से सिकुड़ रहा है।

3. रूस के साथ टकराव को बताया 'गलत रास्ता'

इस दस्तावेज़ में एक महत्वपूर्ण बदलाव रूस के प्रति अमेरिकी दृष्टिकोण में आया है।

  • बदलाव: अमेरिका ने माना है कि रूस के साथ लंबी लड़ाइयाँ या 'फ़ॉरेवर वॉर' गलत थीं। अब रूस से टकराव कम करने और स्ट्रैटेजिक स्टेबिलिटी (Strategic Stability) बनाने की जरूरत है।

  • कूटनीतिक समझ: अमेरिका समझ चुका है कि चीन को रोकने के लिए रूस को पूरी तरह दुश्मन बनाना एक रणनीतिक गलती है। यहीं पर पुतिन का भारत दौरा और अहम हो जाता है, क्योंकि अब रूस-भारत-अमेरिका के रिश्तों में एक नया समीकरण बनता दिख रहा है।

4. 'दुनिया में हस्तक्षेप कम करेंगे'

नई रणनीति में यह भी कहा गया है कि यूएस अब हर जगह पुलिस की भूमिका नहीं निभाएगा।

  • फोकस: अनावश्यक विदेशी युद्धों से दूरी रखी जाएगी। लेकिन जहां अमेरिकी हित खतरे में होंगे, वहां शक्तिशाली रिस्पॉन्स दिया जाएगा।

  • अर्थ: यानी युद्ध कम, लेकिन रणनीतिक दबदबा और हस्तक्षेप ज्यादा लक्षित होगा।

किसका फायदा, किसका नुकसान?

  • भारत का फायदा: सबसे बड़ा। अमेरिका की नजर में भारत अब पिवोटल पावर है। चीन को घेरने की रणनीति में भारत नंबर-1 पार्टनर बन गया है।

  • चीन का नुकसान: चीन को आधिकारिक तौर पर दुश्मन घोषित करना अमेरिकी संसाधनों और नीतियों को पूरी तरह बीजिंग की ओर केंद्रित कर देगा।

  • रूस की स्थिति: अमेरिका के टकराव कम करने के रुख से रूस को सांस लेने का मौका मिलेगा और वह भारत जैसे देशों के साथ संतुलन की रणनीति को और मजबूत कर पाएगा।


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