बांग्लादेश की राजनीति के एक बड़े अध्याय का आज अंत हो गया है। देश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की कद्दावर नेता बेगम खालिदा जिया का मंगलवार सुबह लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उनके निधन की खबर ऐसे समय में आई है जब देश 12 फरवरी को होने वाले 13वें राष्ट्रीय संसदीय चुनावों की तैयारी कर रहा है।
विडंबना यह है कि निधन से ठीक एक दिन पहले, सोमवार को ही उनके प्रतिनिधियों ने तीन अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों से उनके नामांकन पत्र दाखिल किए थे।
चुनावी शंखनाद और अंतिम नामांकन
सोमवार को नामांकन पत्र जमा करने का आखिरी दिन था। खालिदा जिया, जो लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं, ने अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए तीन सीटों से दावेदारी पेश की थी:
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फेनी-1: यह उनका पारंपरिक गढ़ रहा है।
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बोगरा-7 (गबतली-शाहजहांपुर): उनके पैतृक क्षेत्र से जुड़ा निर्वाचन क्षेत्र।
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दिनाजपुर-3 (सदर): जहाँ से उन्होंने अपनी उम्मीदवारी जताई थी।
उनके सलाहकारों ने दावा किया था कि अस्पताल में भर्ती होने के बावजूद खालिदा जिया ने खुद नामांकन पत्रों पर हस्ताक्षर किए थे। हालांकि, उनकी नाजुक स्थिति को देखते हुए पार्टी ने 'वैकल्पिक उम्मीदवारों' को भी तैयार रखा था।
तारिक रहमान की वापसी और विरासत
खालिदा जिया के बड़े बेटे और BNP के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान ने भी दो सीटों से अपना पर्चा भरा है। उन्होंने ढाका-17 और अपने पैतृक क्षेत्र बोगरा-6 से नामांकन दाखिल किया है। तारिक रहमान लंबे समय से लंदन में निर्वासन में थे, लेकिन अब वे सीधे तौर पर देश की कमान संभालने की तैयारी में दिख रहे हैं।
| उम्मीदवार |
निर्वाचन क्षेत्र |
| बेगम खालिदा जिया |
फेनी-1, बोगरा-7, दिनाजपुर-3 |
| तारिक रहमान |
ढाका-17, बोगरा-6 |
संघर्षपूर्ण राजनीतिक सफर
बेगम खालिदा जिया बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं। उनका जीवन सत्ता के शिखर और जेल की कोठरी के बीच झूलता रहा।
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भ्रष्टाचार के आरोप: उन पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर मामले दर्ज थे, जिन्हें उन्होंने हमेशा 'राजनीतिक प्रतिशोध' बताया।
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बड़ी राहत: जनवरी 2025 में बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतिम भ्रष्टाचार मामले से बरी कर दिया था, जिससे उनके चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हुआ था।
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अंतिम उपस्थिति: उन्हें आखिरी बार 21 नवंबर 2024 को एक सैन्य जलसे में व्हीलचेयर पर देखा गया था, जहाँ वे काफी कमजोर नजर आ रही थीं।
बांग्लादेश की राजनीति पर प्रभाव
खालिदा जिया के निधन से BNP और बांग्लादेश के विपक्षी खेमे में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया है। ऐसे समय में जब देश में अशांति व्याप्त है और शेख हसीना के हटने के बाद अंतरिम सरकार चुनाव कराने जा रही है, खालिदा की कमी पार्टी को खलेगी। अब पूरी जिम्मेदारी तारिक रहमान के कंधों पर है कि वे अपनी मां की विरासत को कैसे आगे ले जाते हैं।
निष्कर्ष: बेगम खालिदा जिया का जाना बांग्लादेश की राजनीति में एक युग का अंत है। उनके समर्थकों के लिए वे 'देशनेत्री' थीं, जिन्होंने लोकतंत्र के लिए लंबा संघर्ष किया। अब 12 फरवरी के चुनाव यह तय करेंगे कि उनकी पार्टी उनके बिना क्या करिश्मा कर पाती है।