रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से ठीक पहले, भारत और अमेरिका के बीच $946 मिलियन डॉलर (करीब ₹7,995 करोड़) की एक बड़ी डिफेंस डील हुई है। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने यह डील अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन (Lockheed Martin) के साथ की है। यह समझौता भारत की समुद्री ताकत को और बढ़ाएगा, क्योंकि यह MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर के लिए एक सतत पैकेज है। इस हेलीकॉप्टर को 'रोमियो' के नाम से भी जाना जाता है।
MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर आज की तारीख में दुनिया के सबसे ताकतवर नौसैनिक हेलीकॉप्टरों में से एक है। इसे अमेरिका की मशहूर कंपनी सिकोरस्की (जो अब लॉकहीड मार्टिन कंपनी का हिस्सा है) ने बनाया है। यह बहुत एडवांस्ड हेलीकॉप्टर है, जिसमें उच्च क्षमता वाले रडार, सोनार, मिसाइल और टॉरपीडो लगे होते हैं।
24 सीहॉक हेलीकॉप्टर का सतत पैकेज
इस डील की पुष्टि यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने ट्वीट कर की। उन्होंने कहा कि, "भारत के साथ हमारे रक्षा संबंधों में एक बड़ी खुशखबरी आई है। भारत के रक्षा मंत्रालय ने लॉकहीड मार्टिन द्वारा विकसित 24 MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टरों के लिए एक सतत पैकेज पर हस्ताक्षर किए हैं।"
सीहॉक हेलीकॉप्टर की खूबियां
सीहॉक हेलीकॉप्टर पानी के ऊपर बहुत सारे काम एक साथ कर सकता है, जिससे यह नौसेना के लिए एक मल्टी-रोल एसेट बन जाता है।
इसका मुख्य काम है:
-
पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW): दुश्मन की पनडुब्बियों (सबमरीन) को ढूंढना और मारना।
-
जहाज रोधी युद्ध (ASuW): समुद्र में जहाजों पर हमला करना।
-
अन्य भूमिकाएँ: सर्च एंड रेस्क्यू (SAR), लोगों और सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना (वर्टिकल रीसप्लाई), और घायलों को हॉस्पिटल पहुँचाना।
भारतीय नौसेना ने 24 ऐसे सीहॉक हेलीकॉप्टर अमेरिका से खरीदे हैं, और इस नए सौदे से उनकी ऑपरेशनल रेडीनेस सुनिश्चित होगी।
डिफेंस सौदे में क्या-क्या शामिल
यह 946 मिलियन डॉलर का सौदा भारतीय नौसेना के 24 MH-60R ‘सी-हॉक’ हेलीकॉप्टरों की दीर्घकालिक परिचालन तत्परता (Long Term Operational Readiness) सुनिश्चित करने के लिए है।
डिफेंस सौदे में शामिल मुख्य चीजें हैं:
-
रखरखाव (Maintenance) और स्पेयर पार्ट्स (Spare Parts) की आपूर्ति।
-
ट्रेनिंग और टेक्निकल सपोर्ट।
-
हेलीकॉप्टरों की रिपेयर (Repair)।
यह कदम न केवल भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी को भी और गहरा करेगा। यह डील पुतिन के भारत दौरे से ठीक पहले हुई है। 4 दिसंबर को पुतिन भारत पहुँचेंगे और 5 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रक्षा सौदों पर चर्चा होने की संभावना है। यह दिखाता है कि भारत अपनी रक्षा ज़रूरतों को पूरा करने के लिए विभिन्न वैश्विक साझेदारों के साथ संतुलन बनाकर चल रहा है।