दुनिया के सबसे बड़े अफीम उत्पादकों में गिना जाने वाला अफगानिस्तान हाल के वर्षों में उत्पादन में लगातार गिरावट झेल रहा है (तालिबान प्रतिबंधों के कारण)। इसी बीच, भारत का पड़ोसी देश म्यांमार चुपचाप दुनिया का नया सबसे बड़ा अफीम उत्पादक देश बनकर उभरा है।
गृहयुद्ध की आग में फंसे म्यांमार में इस साल अफीम की खेती ने पिछले दस साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। संयुक्त राष्ट्र के नशीले पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODC) की ताजा रिपोर्ट साफ बताती है कि जैसे-जैसे देश में राजनीतिक अस्थिरता, हिंसा और गरीबी बढ़ी है, वैसे-वैसे किसान दोबारा उसी फसल की ओर लौट रहे हैं जो उन्हें नकद में तुरंत कमाई देती है, यानी अफीम।
अफीम की खेती में $17\%$ का बड़ा उछाल
UNODC की म्यांमार ओपियम सर्वे 2025 के अनुसार, देश में अफीम की खेती का क्षेत्र 2024 की तुलना में $17\%$ बढ़कर $53,100$ हेक्टेयर हो गया। यह साल 2015 के बाद सबसे अधिक है।
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उत्पादन: संघर्ष प्रभावित इलाकों में औसत पैदावार $13\%$ घटी, लेकिन बढ़ी हुई खेती ने इसकी भरपाई कर दी। कुल उत्पादन $1\%$ बढ़कर लगभग $1,010$ मीट्रिक टन पर पहुँच गया।
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कारण: रिपोर्ट बताती है कि म्यांमार में बढ़ती गरीबी, गृहयुद्ध और सुरक्षा संकट के बीच अफीम किसानों के लिए एक सुरक्षित नकद फसल बन चुकी है, क्योंकि यह दुर्गम क्षेत्रों में आसानी से बेची जा सकती है।
अफगानिस्तान के बाद दुनिया की नज़रें म्यांमार पर
तालिबान द्वारा 2021 में अफगानिस्तान में अफीम उत्पादन पर सख्त प्रतिबंध लगाने के बाद, वैश्विक अवैध बाजार में अफीम की सप्लाई में भारी कमी आई थी। अफगानिस्तान परंपरागत रूप से हेरोइन (अफीम से बनने वाला ड्रग) का सबसे बड़ा स्रोत रहा है। वहाँ उत्पादन गिरने से सप्लाई में कमी आई और हेरोइन के भाव आसमान छूने लगे।
इसी खाली जगह को म्यांमार ने तेजी से भरना शुरू कर दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोप में भी अब म्यांमार से हेरोइन पहुंचने के संकेत मिले हैं। भले ही यह मात्रा अभी कम हो, लेकिन यह वैश्विक ड्रग बाजार के बदलते नक्शे की बड़ी झलक है।
क्यों बढ़ रही है म्यांमार में अफीम की खेती?
म्यांमार में अफीम की खेती में इस रिकॉर्ड उछाल के पीछे कई कारण हैं:
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बढ़ती कीमतें (Increased Prices): ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अफीम की कीमत $329$ प्रति किलो तक पहुँच गई है। यह 2019 की कीमत ($145$/kg) की लगभग दोगुनी है। पूरी अफीम अर्थव्यवस्था का आकार $641$ मिलियन से $1.05$ बिलियन डॉलर आंका गया है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का $1\%$ से भी ज़्यादा है।
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गृहयुद्ध और असुरक्षा: सैन्य तख्तापलट (2021) के बाद से देश में संघर्ष बढ़ा है। कई इलाकों में किसान सिर्फ़ अफीम ही उगा सकते हैं क्योंकि स्थिर आय के दूसरे साधन खत्म हो चुके हैं। साथ ही, सशस्त्र गुटों का दबाव है और सरकार की पकड़ बेहद कमजोर है।
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गोल्डन ट्रायंगल का इतिहास: म्यांमार, लाओस और थाईलैंड की सीमा वाला इलाका गोल्डन ट्रायंगल दशकों से अवैध ड्रग व्यापार का केंद्र रहा है। यहां के कई जातीय सशस्त्र समूहों की कमाई का बड़ा हिस्सा इसी व्यापार से आता है।
UNODC के मुताबिक, म्यांमार न सिर्फ अफीम बल्कि मेथाम्फेटामीन (Methamphetamine) उत्पादन में भी दुनिया में नंबर वन है। मेथ बनाना आसान है और यह टैबलेट व क्रिस्टल रूप में एशिया-प्रशांत के देशों में बड़े पैमाने पर भेजी जाती है।