रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जहाँ $4$ और $5$ दिसंबर को भारत के दो दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मॉस्को का खेल बिगाड़ने के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों चीन पहुँच गए हैं। मैक्रों चीन में तीन दिन तक रहेंगे, जहाँ वे कई कार्यक्रमों में भाग लेंगे।
फ्रांस को रूस का एक प्रमुख दुश्मन देश माना जाता है, और यूक्रेन युद्ध में पर्दे के पीछे अमेरिका के साथ-साथ फ्रांस और ब्रिटेन का भी अहम रोल है। मैक्रों का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब रूस यूक्रेन युद्ध को लेकर सख्त हो चुका है। दो दिन पहले, पुतिन ने अमेरिकी शांति दूतों से मुलाकात में यूरोप से जंग लड़ने की बात कही थी और उनका कहना था कि समझौता सिर्फ रूस की शर्तों पर होगा।
मैक्रों किस मकसद से चीन पहुँचे?
फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार, इमैनुएल मैक्रों ने पहले दिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। इस मुलाकात में मैक्रों ने मुख्य रूप से तीन अहम मुद्दे उठाए, जो सीधे तौर पर रूस के हितों से जुड़े हैं:
1. यूक्रेन युद्ध में चीन की बड़ी भूमिका
मैक्रों ने चीन से आग्रह किया कि वह यूक्रेन युद्ध में बड़ी भूमिका निभाए और जंग को तुरंत रोकने के लिए दबाव डाले। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जंग नहीं रुकती है तो दुनिया की स्थिति गंभीर हो जाएगी। मैक्रों का मानना है कि चीन रूस का सबसे बड़ा सहयोगी है और वह पुतिन पर दबाव बनाने की स्थिति में है।
2. रूस पर दबाव बनाने की मांग
मैक्रों ने चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग से रूस पर दबाव बनाने के लिए कहा। पश्चिमी देशों का मानना है कि चीन अगर पुतिन पर दबाव बनाएगा तो रूस को यूक्रेन जंग में झुकना पड़ेगा। चीन रूस से सबसे ज्यादा कच्चा तेल खरीदता है और उसे हथियार भी मुहैया कराता है। यह आर्थिक और सैन्य सहयोग ही रूस को युद्ध जारी रखने में मदद करता है।
3. पेरिस में निवेश और व्यापार संतुलन
मैक्रों ने चीन से पेरिस (फ्रांस) में निवेश करने की मांग की। फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों पक्षों को व्यापार के मामले को संतुलित करने पर ध्यान देने की जरूरत है। पिछले साल फ्रांस में चीनी व्यापार में गिरावट दर्ज की गई थी, और फ्रांस की कोशिश इस साल इसे दुरुस्त करने की है।
$12$ समझौतों पर हस्ताक्षर
जिनपिंग और मैक्रों ने गुरुवार को $12$ समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान, जिनपिंग ने फिलिस्तीन के पुनर्निर्माण के लिए $100$ मिलियन डॉलर की सहायता प्रदान करने की घोषणा की। यह घोषणा मैक्रों के फिलिस्तीन अभियान के साथ मेल खाती है; फ्रांस सऊदी अरब के साथ मिलकर फिलिस्तीन को एक अलग मुल्क बनाने का अभियान चला रहा है।
पुतिन के भारत दौरे के बीच मैक्रों का चीन पहुँचना, पश्चिमी शक्तियों द्वारा यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए भू-राजनीतिक दबाव बनाने की एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।