पाकिस्तान ने अपने सैन्य ढांचे में इतिहास का सबसे बड़ा बदलाव करते हुए जनरल आसिम मुनीर को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस (CDF) नियुक्त कर दिया है। राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही यह पद प्रभावी हो गया और अब मुनीर पाक सेना, वायु सेना और नौसेना—तीनों पर संयुक्त नियंत्रण रखने वाले सर्वोच्च सैन्य अधिकारी बन गए हैं। घोषणा के कुछ ही समय बाद मुनीर ने कहा कि पाकिस्तान “नई ऊंचाइयों और स्थिरता की ओर बढ़ रहा है और हालात धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहे हैं।”
कैसे बनी यह पद व्यवस्था?
जिओ न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला अचानक नहीं लिया गया था, बल्कि कई महीनों से इस पर देश के तीन प्रमुख राजनीतिक घरानों—नवाज़ शरीफ, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और राष्ट्रपति जरदारी—के बीच चर्चा चल रही थी। पाकिस्तान की सत्ता में सेना का प्रभाव हमेशा निर्णायक रहा है। इसलिए सत्ता संतुलन बनाए रखने के लिए यह नया कमांड स्ट्रक्चर तैयार किया गया।
विशेषज्ञों की मानें तो नवाज़ शरीफ की सत्ता वापसी की रणनीति और सेना की शीर्ष स्तर पर अपनी पकड़ बरकरार रखने की इच्छा ने इस कदम को अंतिम रूप दिया। मुनीर को पूरे 5 साल के कार्यकाल के साथ यह पद सौंपना इस बदलाव के स्थायी इरादे को दर्शाता है।
नया सैन्य ढांचा क्यों जरूरी माना गया?
पाकिस्तान की सरकार का दावा है कि देश वर्तमान समय में बहु-स्तरीय सुरक्षा चुनौतियों से जूझ रहा है—
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अफगान सीमा पर तालिबान टकराव
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टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) की बढ़ती गतिविधियां
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बलूचिस्तान में आतंकी हमले
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और भारत के साथ लगातार तनाव
इन परिस्थितियों में सरकार का तर्क है कि तीनों सेनाओं को एकीकृत कमान में लाकर न केवल रणनीति सुदृढ़ होगी, बल्कि संसाधनों का सामंजस्य भी बेहतर तरीके से हो सकेगा। अब सेना की नीति और सैन्य जवाबी कार्रवाई एक ही शीर्ष नेतृत्व के निर्देशों पर संचालित होगी।
जनरल मुनीर की प्राथमिकताएं क्या होंगी?
नई जिम्मेदारी के साथ मुनीर पूरे सैन्य ढांचे को नई दिशा देने की स्थिति में हैं। विश्लेषकों के अनुसार उनकी प्रमुख चुनौतियां निम्न होंगी—
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भारतीय सीमा पर रणनीतिक शक्ति प्रदर्शन
पाकिस्तान में सेना की छवि मजबूत करने के लिए वे कठोर रुख अपना सकते हैं। एलओसी पर गतिविधियों में तेजी और कश्मीर मुद्दे पर आक्रामक बयानबाजी संभव है।
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टीटीपी और तालिबान के खिलाफ सख्त कार्रवाई
पिछले कुछ महीनों में पाक सेना पर टीटीपी हमले बढ़े हैं। इसे नियंत्रित करना उनके लिए बड़ी परीक्षा होगी।
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आंतरिक अस्थिरता पर नियंत्रण
पाकिस्तान इस समय गंभीर आर्थिक संकट, महंगाई, राजनीतिक टकराव और प्रशासनिक असंतुलन से गुजर रहा है। ऐसे में सेना अपने प्रभाव के विस्तार के लिए अधिक हस्तक्षेपवादी भूमिका निभा सकती है।
भारत के लिए इस बदलाव का क्या मतलब?
भारत की सुरक्षा एजेंसियां इस परिवर्तन पर करीबी नजर बनाए हुए हैं।
जनरल मुनीर को असल जिंदगी में कठोर और रणनीतिक रूप से सख्त निर्णय लेने वाला अधिकारी माना जाता है। विश्लेषक मानते हैं कि—
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कश्मीर में तनाव भड़काने की कोशिशें
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एलओसी पर घटनाओं में वृद्धि
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और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत विरोधी अभियान तेज किया जा सकता है
पाकिस्तान की राजनीति में राष्ट्रवाद अक्सर भारत-विरोधी रुख के जरिए दिखाया जाता है, और नई सैन्य संरचना इस प्रवृत्ति को और गति दे सकती है।