चिक्काबल्लापुर जिले के चेलूर थाना क्षेत्र में हुई यह घटना न केवल एक आपराधिक मामला है, बल्कि यह अंतरधार्मिक विवाह और उससे उपजे पारिवारिक द्वेष की पराकाष्ठा को भी दर्शाती है।
घटना का विवरण: मौत और संदेह
आरोपों के मुताबिक, जब यह घटना हुई तब 40 दिन की नवजात बच्ची घर में अपनी परदादी के साथ अकेली थी। बच्ची की माँ (17 वर्षीय नाबालिग पोती) जब वापस लौटी, तो उसने अपनी बच्ची को मृत अवस्था में पाया। जब उसने दादी से इस बारे में पूछताछ की, तो दादी के गोल-मोल जवाबों और पुलिस को सूचना देने से मना करने पर माँ का शक गहरा गया। माँ का आरोप है कि उसकी दादी इस अंतरधार्मिक विवाह से बेहद नाराज थी और इसी नफरत के चलते उसने उसकी बच्ची की जान ले ली।
ऑनर किलिंग का संदेह और पारिवारिक पृष्ठभूमि
पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि शिकायतकर्ता लड़की नाबालिग है और उसने अपनी मर्जी से दूसरे धर्म (हिंदू) के एक युवक से शादी की थी। परिवार इस रिश्ते के खिलाफ था। दादी पर आरोप है कि उसने अपनी "पारिवारिक प्रतिष्ठा" या "सम्मान" को चोट पहुँचने के कारण इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया। यदि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या की पुष्टि होती है, तो यह 'ऑनर किलिंग' का एक भयानक उदाहरण साबित होगा।
पुलिस की कार्रवाई और कानूनी पेच
चेलूर थाना पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए विस्तृत जांच शुरू कर दी है। मामले में दो प्रमुख कानूनी बिंदु सामने आए हैं:
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संदिग्ध मौत की जांच: पुलिस ने वर्तमान में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 194 के तहत अप्राकृतिक मृत्यु (UDR) का मामला दर्ज किया है। पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है ताकि मौत के सही कारणों (दम घोंटना या अन्य) का पता चल सके।
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पॉक्सो (POSCO) एक्ट की कार्रवाई: चूंकि लड़की नाबालिग है, इसलिए पुलिस ने हिंदू युवक (बच्ची के पिता) के खिलाफ भी पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। कानूनन नाबालिग से विवाह करना अपराध की श्रेणी में आता है, जिससे यह मामला और भी जटिल हो गया है।
सामाजिक चिंता का विषय
इस घटना ने एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि क्या आज के आधुनिक दौर में भी 'धार्मिक कट्टरता' और 'झूठी शान' इतनी बड़ी हो गई है कि एक 40 दिन की मासूम की जान ले ली जाए? स्थानीय लोग इस घटना से स्तब्ध हैं और आरोपी दादी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।