भारतीय रुपये में लगातार कमजोरी का दौर जारी है। शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में मामूली रिकवरी के बाद यह एक बार फिर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले नीचे फिसल गया। इंटरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 90.07 पर खुला लेकिन थोड़ी देर बाद ही 16 पैसे टूटकर 90.11 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। पिछले कारोबारी दिन गुरुवार को यह 89.95 के स्तर पर बंद हुआ था। कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और विदेशी पूंजी की निकासी रुपये पर सबसे बड़ा दबाव बना रही है। साथ ही वैश्विक स्तर पर डॉलर की मांग में इज़ाफा भी भारतीय मुद्रा के लिए चुनौती साबित हो रहा है।
रुपया क्यों हुआ कमजोर?
विदेशी मुद्रा विशेषज्ञों के अनुसार, बीते कुछ हफ्तों में निम्नलिखित कारणों से रुपये की स्थिति कमजोर हुई है:
1. विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली
एफआईआई लगातार भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। शुक्रवार को ही विदेशी निवेशकों ने 438.90 करोड़ रुपये की नेट सेलिंग की।
जब विदेशी पूंजी बाजार से बाहर निकलती है, तो डॉलर की मांग बढ़ती है और रुपये पर सीधा दबाव बनता है।
2. कच्चे तेल की कीमतों में तेजी
ब्रेंट क्रूड में 0.17% उछाल के साथ कीमत 63.85 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है, इसलिए तेल की कीमत बढ़ते ही डॉलर की मांग बढ़ जाती है और रुपये में कमजोरी आने लगती है।
3. ट्रेड डील में प्रगति न होना
अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौते में धीमी प्रगति भी रुपये पर नकारात्मक असर डाल रही है। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, मजबूत ट्रेड बैलेंस नहीं बनने से विदेशी मुद्रा प्रवाह प्रभावित होता है।
डॉलर इंडेक्स और वैश्विक संकेत
डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की स्थिति दर्शाता है, 0.11% की गिरावट के साथ 98.88 पर रहा। भले ही डॉलर इंडेक्स कमजोर रहा, लेकिन अमेरिकी बाजारों में मजबूत इकोनॉमिक डेटा और निवेशकों की डॉलर में रुचि बढ़ने से एशियाई मुद्राओं पर दबाव बना हुआ है। एनरिच मनी के सीईओ पोनमुडी आर. के अनुसार:आने वाले दिनों में रुपये पर दबाव बना रह सकता है, क्योंकि यूएस फेड रिजर्व का निर्णय रुपये की दिशा तय करेगा। साथ ही एफआईआई फ्लो भी इसी नीति पर निर्भर रहेगा। हालांकि उनका मानना है कि मजबूत भारतीय GDP ग्रोथ, लिक्विडिटी में सुधार और RBI की संभावित रेपो रेट कटौती रुपये को कुछ राहत दे सकती है।
शेयर बाजार में भी गिरावट
रुपये की कमजोरी का असर इक्विटी मार्केट पर भी दिखा।
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बीएसई सेंसेक्स 215.73 अंक टूटकर 85,741.24 पर पहुंच गया
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एनएसई निफ्टी-50 64.85 अंक गिरकर 26,121.60 पर बंद हुआ
तेल कीमतों की बढ़ोतरी, डॉलर में मांग और विदेशी बिकवाली के कारण शुक्रवार को निवेशकों के मनोबल पर असर पड़ा, जिससे बाजारों में उतार-चढ़ाव बढ़ा।
आगे क्या?
रुपये के लिए अभी राहत के संकेत सीमित हैं।
ये सभी आने वाले दिनों में रुपये की स्थिति तय करेंगे।
हालांकि घरेलू आर्थिक आंकड़े मजबूत रहने और केंद्र बैंक हस्तक्षेप से कुछ स्थिरता मिलने की उम्मीद है, लेकिन वर्तमान माहौल में रुपये पर दबाव कायम रहने की संभावना अधिक है।