भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के हालिया बयान ने भारत-पाक संबंधों में एक बार फिर तनाव बढ़ा दिया है। नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में जयशंकर ने साफ कहा था कि पाकिस्तान की कई समस्याओं की जड़ खुद उसकी सेना है, और वही देश के भीतर आतंकवाद को पोषित करने वाली प्रमुख संस्था है। इस बयान पर पाकिस्तान ने मजबूत प्रतिक्रिया देते हुए इसे "भड़काऊ, गलत और गैर-जिम्मेदाराना" करार दिया।
पाकिस्तान का पलटवार: “सेना हमारे सुरक्षा ढांचे की रीढ़”
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने बयान जारी कर कहा कि भारत अनावश्यक रूप से पाकिस्तान के नेतृत्व और संस्थानों को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेना देश की सुरक्षा, संप्रभुता और स्थिरता की प्रमुख शक्ति है और उस पर सवाल उठाना भारत का राजनीतिक एजेंडा दर्शाता है। अंद्राबी ने यह भी आरोप लगाया कि भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की छवि खराब करने और उसे आतंकवाद से जोड़ने का लगातार प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान एक जिम्मेदार राष्ट्र है और हमारे संस्थान राष्ट्रहित में संविधान के दायरे में काम करते हैं।”
जयशंकर का बयान: “समस्या वहीं से पैदा होती है जहां आतंक को समर्थन मिलता है”
हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में बोलते हुए जयशंकर ने कहा था कि पाकिस्तान में राज्य स्तर पर आतंकी ढांचे को समर्थन दिया जाता है, और इसी से क्षेत्र में अस्थिरता और संघर्ष जन्म लेते हैं। उनका कहना था कि पाकिस्तान की सेना आतंकवादी समूहों को रणनीतिक साधन के रूप में उपयोग करती है, और यही उसकी राजनीतिक और सैन्य नीति की मुख्य विफलता है। उन्होंने संकेत देते हुए यह भी कहा कि पाकिस्तान की सैन्य व्यवस्था में कुछ नेता ऐसे हैं जो आतंकवाद को रणनीतिक संसाधन मानते हैं, जबकि कुछ इससे दूर रहना चाहते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह टिप्पणी सीधे तौर पर पाक सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की ओर इशारा करती है।
“गीदड़भभकी से आगे कुछ नहीं”: पाकिस्तान का जवाब
अंद्राबी ने जयशंकर के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीते महीनों में हुए सीमा संघर्ष के दौरान पाकिस्तान की सेना ने अपनी युद्ध क्षमता और प्रतिक्रियात्मक दक्षता को सिद्ध किया है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान किसी भी खतरे या हमले का "अनुशासित और प्रभावी" जवाब देने में सक्षम है और उसकी सेनाएं किसी भी प्रकार के दबाव में आने वाली नहीं हैं।
ऑपरेशन ‘सिंदूर’: तनाव का वास्तविक आधार
हालिया विवाद की पृष्ठभूमि में भारत का ऑपरेशन सिंदूर भी है, जिसने दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक तनाव को नए स्तर पर पहुंचा दिया था। यह कार्रवाई 7 मई को उस हमले के बाद शुरू की गई थी जिसमें पहलगाम में 26 नागरिकों की मौत हुई थी। भारतीय सेना द्वारा की गई इस जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी ढांचे और ठिकानों को निशाना बनाया गया।भारतीय वायुसेना प्रमुख ए.पी. सिंह के मुताबिक, इस ऑपरेशन में पाकिस्तान के एक दर्जन से अधिक लड़ाकू विमान नष्ट या क्षतिग्रस्त हुए, जिनमें अमेरिकी एफ-16 भी शामिल थे। इस कार्रवाई के चार दिन बाद दोनों देशों ने सैन्य गतिविधि को रोकने पर सहमति जताई, पर तनाव फिलहाल बना हुआ है।