स्वच्छता में सात बार नंबर वन रहने वाले शहर इंदौर के भागीरथपुरा क्षेत्र से एक हृदय विदारक घटना सामने आई है। यहाँ दूषित पानी के सेवन से अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है और 66 से अधिक लोग गंभीर अवस्था में अस्पतालों में भर्ती हैं। इस घटना ने शहर की जल आपूर्ति व्यवस्था और प्रशासनिक सतर्कता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना का विवरण और स्थानीय प्रभाव
इंदौर के भागीरथपुरा इलाके में पिछले कुछ दिनों से उल्टी-दस्त, पेट दर्द और कमजोरी के लक्षण वाले मरीजों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी देखी गई। स्थानीय लोगों का दावा है कि नलों से आने वाला पानी गंदा और बदबूदार था, जिसे पीने के बाद लोग बीमार पड़ने लगे।
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प्रभावितों की संख्या: करीब 2,000 लोग प्रभावित बताए जा रहे हैं, जिनमें से 66 से ज्यादा लोग इंदौर के अलग-अलग निजी और सरकारी अस्पतालों में उपचाराधीन हैं।
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मृतकों की पहचान: स्थानीय रिकॉर्ड के अनुसार, नंदलाल पाल, तारा बाई, उमा कोरी, गोमती रावत, सीमा प्रजापति, मंजूलता दिगंबर वाढे, उर्मिला यादव और संतोष बिचौलिया की जान जा चुकी है।
प्रशासन का तर्क और स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई
प्रशासन और नगर निगम ने मौतों के आंकड़े पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि केवल 3 मौतें सीधे तौर पर दूषित पानी (पानी से होने वाली बीमारियों) के कारण हुई हैं, जबकि 5 अन्य मौतों का कारण कार्डियक अरेस्ट बताया जा रहा है।
सरकार की त्वरित कार्रवाई:
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निलंबन: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोर लापरवाही बरतने के आरोप में जोनल अधिकारी शालिग्राम शितोले और प्रभारी असिस्टेंट इंजीनियर योगेश जोशी को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है।
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मुआवजा: मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की गई है।
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जांच समिति: पूरे मामले की तह तक जाने के लिए 3 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है जो 48 घंटे में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
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सर्वे: स्वास्थ्य विभाग की 30 टीमें घर-घर जाकर सर्वे कर रही हैं और अब तक 1100 से अधिक घरों की जांच की जा चुकी है।
राजनीतिक घमासान: "पानी में जहर" का आरोप
इस त्रासदी ने मध्य प्रदेश की राजनीति में उबाल ला दिया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए इसे 'प्रशासनिक हत्या' करार दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर भाजपा सरकार पर तीखा प्रहार किया।
"इंदौर ने भाजपा को 9 विधायक, महापौर और सांसद दिए, लेकिन बदले में भाजपा ने लोगों को पीने के पानी में जहर दिया। मुख्यमंत्री स्वयं इंदौर के प्रभारी मंत्री हैं, फिर भी इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हुई?" - जीतू पटवारी
पटवारी ने इसे भ्रष्टाचार और नगर निगम की विफलता का नतीजा बताया है।
बचाव के उपाय और वर्तमान स्थिति
फिलहाल इलाके में पानी की पाइपलाइन की जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि सीवेज का पानी पीने के पानी की लाइन में कहाँ से मिल रहा है। प्रशासन ने लोगों को सख्त हिदायत दी है कि वे पानी को अच्छी तरह उबालकर ही पिएं। पानी के सैंपल लैब भेजे गए हैं जिनकी रिपोर्ट आने के बाद संक्रमण के सटीक स्रोत का पता चल सकेगा।
इंदौर जैसे शहर में, जो विश्व स्तर पर अपनी स्वच्छता के लिए जाना जाता है, इस तरह की घटना प्रशासन के दावों और बुनियादी ढांचे की मजबूती पर एक बड़ा धब्बा है।