लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े निर्देश के बाद राज्य में रोहिंग्या और अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर पुलिस और खुफिया विभाग पूरी तरह से अलर्ट हो गया है। राज्य की सुरक्षा एजेंसियों ने सीमावर्ती क्षेत्रों और संवेदनशील इलाकों में चौकसी बढ़ा दी है, ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत नज़र रखी जा सके। राज्य के शहरों के बॉर्डर और प्रमुख प्रवेश-निकास मार्गों पर आने-जाने वाले संदिग्ध लोगों पर पैनी नजर रखी जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य अवैध रूप से राज्य में प्रवेश करने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों और बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान करना और उनकी घुसपैठ पर रोक लगाना है।
जनसेवा केंद्रों पर खुफिया विभाग की नज़र
घुसपैठ को रोकने के लिए पुलिस और खुफिया विभाग अब उन जनसेवा केंद्रों (CSC) से भी महत्वपूर्ण डेटा जुटा रहा है, जिन पर पहले फर्जी दस्तावेज़ बनाने के आरोप लग चुके हैं। यह कवायद यह पता लगाने के लिए की जा रही है कि हाल के दिनों में कितने संदिग्ध लोगों के फर्जी तरीके से पहचान पत्र और सरकारी दस्तावेज़ बनाए गए हैं।
पहले भी एनआईए (NIA) और एटीएस (ATS) की संयुक्त टीमों ने फर्जी तरीके से बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों के आधार कार्ड बनाने के मामलों में जनसेवा केंद्रों पर छापामारी कर कई आरोपितों को पकड़ा है।
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23 अगस्त की कार्रवाई: एटीएस ने सहारनपुर में एक जनसेवा केंद्र पर फर्जी दस्तावेज़ बनाने वाले सरगना सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया था। ये लोग बांग्लादेशी, रोहिंग्या और नेपाल के नागरिकों के फर्जी तरीके से आधार कार्ड बनवाते थे।
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बेहट में छापेमारी: बेहट थाना क्षेत्र के एक जनसेवा केंद्र पर भी रोहिंग्या के आधार कार्ड बनवाने को लेकर छापामारी की गई थी, जिसके बाद आसिफ, सागर और राजेश उर्फ राजू को गिरफ्तार किया गया था।
खुफिया विभाग का मानना है कि फर्जी दस्तावेज़ों के माध्यम से अवैध नागरिक राज्य के भीतरी हिस्सों में अपनी पहचान छुपाने में सफल हो जाते हैं, जिससे सुरक्षा को खतरा पैदा होता है।
डिटेंशन सेंटर बनाने पर मंथन शुरू
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुरक्षा और प्रशासनिक अधिकारियों को प्रथम चरण में डिटेंशन सेंटर बनाने के भी निर्देश दिए हैं। इन केंद्रों का उपयोग पकड़े गए अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों को रखने और उनसे पूछताछ करने के लिए किया जाएगा।
वरिष्ठ अधिकारी इस परियोजना को जल्द से जल्द शुरू करने के लिए मंथन कर रहे हैं। डिटेंशन सेंटर बन जाने के बाद पकड़े गए घुसपैठियों को तत्काल वापस भेजने की प्रक्रिया में तेज़ी आएगी, जिससे राज्य में अवैध आबादी के प्रसार को रोका जा सकेगा।
देवबंद से पकड़े गए रोहिंग्या का आतंकी कनेक्शन
रोहिंग्या की घुसपैठ का सुरक्षा आयाम तब और भी गंभीर हो गया जब देवबंद जैसे महत्वपूर्ण शहर से आतंकी लिंक सामने आए।
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हालिया गिरफ्तारी: दो दिसंबर को देवबंद में एनआईए और एटीएस की संयुक्त टीम ने छापामारी कर खलीलुल्लाह और रजीबुल्लाह नामक दो रोहिंग्या को हिरासत में लिया था।
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जांच में सामने आया कि इन दोनों आरोपितों के लखनऊ जेल में बंद जमात-ए-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (JMB) के सदस्य से संपर्क थे। यह संपर्क राज्य की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है।
फिलहाल, देवबंद शहर में करीब 15 रोहिंग्या रह रहे हैं, जिनके पास शरणार्थी कार्ड बने हुए हैं। सुरक्षा एजेंसियां इन वैध शरणार्थियों पर भी कड़ी निगरानी रख रही हैं ताकि कोई भी संदिग्ध गतिविधि न हो सके।
पूरे राज्य में पुलिस और खुफिया विभाग की इस संयुक्त कार्रवाई का उद्देश्य राज्य की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना और अवैध घुसपैठ के माध्यम से होने वाले संभावित खतरों को बेअसर करना है।