60 वर्षीय तारिक रहमान, जो पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बड़े बेटे और देश के संस्थापक जियाउर रहमान के उत्तराधिकारी हैं, गुरुवार सुबह 11:55 बजे ढाका पहुँचेंगे। उनके साथ उनकी पत्नी डॉ. जुबैदा रहमान और बेटी जायमा रहमान भी होंगी। 2008 में इलाज के बहाने लंदन जाने के बाद यह पहली बार है जब वे अपनी मातृभूमि पर कदम रखेंगे।
वापसी का कार्यक्रम और जनसैलाब की उम्मीद
BNP ने अपने नेता के स्वागत के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। तारिक रहमान एयरपोर्ट से सीधे एक जनसभा को संबोधित करेंगे, जहाँ हजारों समर्थकों के जुटने की उम्मीद है। इसके बाद उनके कार्यक्रम में शामिल हैं:
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खालिदा जिया से मुलाकात: वे एवरकेयर अस्पताल जाकर अपनी बीमार मां से मिलेंगे।
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आंदोलनकारियों का सम्मान: जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन में घायल हुए लोगों से मुलाकात।
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लोकतांत्रिक प्रक्रिया: शनिवार को वे आधिकारिक रूप से मतदाता के रूप में पंजीकरण कराएंगे, जो उनके आगामी चुनाव लड़ने का स्पष्ट संकेत है।
राजनीतिक समीकरणों में बदलाव
शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में जो शून्य पैदा हुआ था, उसे भरने के लिए तारिक रहमान सबसे मजबूत दावेदार बनकर उभरे हैं।
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प्रधानमंत्री पद के दावेदार: BNP ने स्पष्ट किया है कि यदि खालिदा जिया की सेहत अनुमति नहीं देती, तो फरवरी में होने वाले आम चुनावों में तारिक रहमान ही पार्टी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार होंगे।
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प्रतिद्वंद्विता का नया स्वरूप: अवामी लीग पर प्रतिबंध के बाद, अब BNP की मुख्य टक्कर अपने पुराने सहयोगी 'जमात-ए-इस्लामी' से होने की संभावना है, जो अपनी जड़ें मजबूत करने में जुटा है।
कानूनी बाधाओं से मुक्ति
लंबे समय तक तारिक रहमान पर मनी लॉन्ड्रिंग और 2004 के ग्रेनेड हमले (शेख हसीना की हत्या की साजिश) जैसे कई गंभीर आरोप थे। हालांकि, हसीना सरकार के पतन के बाद, उन्हें इन मामलों में बरी कर दिया गया है, जिससे उनके राजनीतिक भविष्य का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है।
ढाका में 'सुरक्षा कवच'
तारिक की वापसी को देखते हुए मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए हैं।
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हवाई अड्डे पर पाबंदी: हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर विजिटर एंट्री पर 24 घंटे की रोक लगा दी गई है।
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हाई अलर्ट: गृह मंत्रालय ने सेना और पुलिस को कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हाई अलर्ट पर रखा है ताकि किसी भी प्रकार की सांप्रदायिक या राजनीतिक हिंसा को रोका जा सके।
निष्कर्ष
तारिक रहमान की वापसी केवल एक नेता की वतन वापसी नहीं है, बल्कि यह बांग्लादेश में सत्ता के संतुलन को बदलने वाली घटना है। जहाँ उनके समर्थक इसे 'लोकतंत्र की बहाली' मान रहे हैं, वहीं आलोचक इसे एक परिवार के दोबारा सत्ता पर काबिज होने के रूप में देख रहे हैं। आने वाले चुनाव यह तय करेंगे कि क्या तारिक अपने पिता और मां की राजनीतिक विरासत को सफलतापूर्वक आगे ले जा पाएंगे।